सबसे पहले तो सभी को नये साल की शुभकामनाएं। उम्मीद है नया साल घोटालों और भ्रष्टाचार से मुक्त हो। 2010 भ्रष्टाचार, अपराध और मंहगाई से भरपूर था, साथ ही राजनितिक उथल पुथल भी काफी रही। खैर भ्रष्टाचार की बातें करना शुरू करें तो सैकडों पेज भी कम पड जाएंगे लेकीन बातों पर पूर्णविराम नही लग पाएगा।
नये साल का आगमन तो हो गया है लेकीन ऐसा लगता है की साल की शुरूवात किसी बडे त्योहार से हुई है, मानो जैसे दिवाली हो । खासकर के जब सब्जियां खरीदने निकलती हूं तो यह भावना अक्सर आती है। आमतौर पर हम त्योहारों के वक्त खरीदारी के लिए थोडासा हाथ खुला छोड देते है। 60 रूपये किलो प्याज, 40 रूपये किलो टमाटर, 300 रूपये किलो लहसून खरीदते वक्त लगता है की मै किसी शाही परिवार से हूं। छौकं में लगनेवाली मंहगी चिजे खाकर राजभोग का आनंद तो आता है, लेकीन गडबडाया किचन बजट जेब हल्की ही नही बल्की काट ही दे रहा है। आमदनी अठ्ठनी और खर्चा रूपय्या। हर आम आदमी का यही हाल है। अपना हाल किसे बताये सभी एक ही कश्ती में सवार है। कश्ती डूबे तो बचानेवाला भी कोई नही।
केंद्रीय कृषी मंत्रीजी ने कहा की तीन सप्ताह में प्याज की किमते कम होने के आसार है और पाकिस्तान से प्याज की आयात की जा रही है जिसके चलते प्याज की बढती किमतों को रोका जा सकता है। लेकीन देशमें ही जमाखोरों ने प्याज को गोदामों में भरकर अपनी जेबे भर ली है। आयकर विभाग ने भी आनन फानन में छापा मारकर जमाखोरों पर नकल कसने की कोशिश की है। लेकीन वहीं ढाक के तीन पात।
पाकिस्तान से आया प्याज सडा होने के बावजूद लोग उसे खरीदने पर मजबूर है क्योंकि वह सस्ते दाम पर मिल रहा है। प्याज कि नयी फसल आने को है, तब तक प्याज रूलाता ही रहेगा।
सब्जी खाना अब आम आदमी के बस में नही रहा है। कुछ दिन में ये स्टेटस की बात बने तो कोई अचरच नही होगा।
आनेवाले कुछ दिनों मे अब सिलेंडर के दाम भी 40 रूपये बढने के आसार है। दुध के दाम फैसला होने से एक सप्ताह पहले ही बढा दिये गए है। सभी चिजों के दाम अगर बढ रहे हो तो पिसाई के दाम क्यों कम रहे। पिसाई करने के दाम भी बढ गए है।
मुझे तो लगता है की हम आम लोगों को नये साल की कुछ इस तरह शुभ कामना देनी होंगी की भगवान करे आपके इलाके में प्याज, लहसून और टमाटर के दाम कम हो। आपको पांच किलो चिनी की लॉटरी लगे। सिलेंडर की कभी कमी ना हो।
No comments:
Post a Comment