Sunday, December 26, 2010

लाईटस्...कैमरा..एक्शन

लाईटस्... कैमरा.. एक्शन.... ये अलफाज सुनने के बाद यकीनन हमें महसूस होता है कि कहीं पर शुटींग चल रही है। ये अलफाज मैने भी सुने। शुटिंग देखने के लिए समय तो नही था लेकिन देखा वो भी अपने काम करते हुए, दरअसल बात ये हुई कि हमारे ऑफिस में ही दो दिन से शुटींग चल रही थी। एक फिल्म है जिसका नाम तो तय नही है, लेकिन थीम थायद न्यूज चैनल पर आधारित थी। दो शॉट देने के लिए तकरीबन 3 घंटे का समय लगा। दो शॉट में सिर्फ दो लाईन का डायलॉग था। ऐसा नही था कि कलाकार ठीक से शॉट नही दे रहे थे लेकिन शुटींग में लगने वाला साजो सामान सजाने और उठाने में ही सारा समय निकल जाता था। बडी बडी लाईटस, ट्रॉली, कैमेरे, परदे और अनगिनत चीजें। फिल्म देखते वक्त हम सिर्फ डायलॉग, लोकेशन और हीरो, हीरोईन को देखते है, लेकिन उसके पीछे की जी तोड मेहनत के बारे में हम सोचते भी नही। भरपूर मेहनत और संयम से भरे इस मेहनत मजदूरी भरे काम को ना तो उचित मेहनताना मिलता है और ना ही कोई पहचान ही। इस व्यवसाय में होने वाले घंटो घंटो कमरतोड मेहनत का अनुमान दो दिन में ही हो गया। चकाचौधं की दुनिया में होने के बावजूद वे चकाचौंध से कोसो दूर हें। कहीं पर उनके काम को सराहा जाता है तो कहीं रौशनी दिखाने वाले लोगों की जिंदगी को गुमनामी के अंधेरे निकल जोते हैं। जितना समझ में आया उससे यही लगता है लाईटस्.. कैमरा... एक्शन भले ही युवापीढी को अपनी तरफ आकर्षित करती हो लेकिन उसमें लगनेवाली कमरतोड मेहनत से सीख लेनी बेहद जरुरी है। कई दशक लग जाते हैं तब जाके कामयाबी नसीब होती है वो भी इस चमकीली दुनिया में कितने दिनों तक कायम रह पाती है कहना बेहद मुश्किल है। इस लिए जीवन के लाईटस्... कैमरा.... एक्शन को संभाला जाए ना कि चमकीली दुनिया में खो कर। ये जरुर है कि उत्थान की पहली सीढी जी तोड मेहनत है.... इसलिए आप भी मेहनत करें कभी तो मेहनत रंग लाएगी जो कामयाबी की चटख लाल रंग को दिखाएगी।

Thursday, December 2, 2010

दर्द-ए-बयां

यह उस पीड़ित लडकी की कहानी है जिसकी खुद की तो जिंदगी बर्बाद हो चुकी है साथ में उसकी पांच बहनें और उनकी नौकरानी की भी जिंदगी भी नर्क से भी बदतर बन चुकी है। वहशी तांत्रिक के चंगुल में फंसी सात महिलाओं पर ये बीती है दर्दनाक दास्तां, जिसके बारे में सोच कर ही रोंगटे सिहर उठतें हैं. इस बारें में मेरे अपने तरफ से कुछ कहने की गुंजाइश ही नहीं है। मैं अपने बिचार आपके सामने रखूँ या इस मुद्दे पर आप से रु-ब-रू इससे पहले उसी महिला के जुबानी कहे वाकये को आपके बताती हूँ। जिसे पढ कर शायद आपके य़भी होश फाख्ता हो जाएँ। मेरे पैरों तले की जमीन तो इसे जानने के बाद ही खिसक गई थी, कि कहने को आधी अबादी महिलाओं की है लेकिन महिलाओं पर इस तरह के अत्याचार दिल दहलाने वाले लायक हैं।....

आगे की कहानी पीडित लडकी का बयान है जो उसने पुलिस को दिया है। किसी का नाम जानने में या उजागर करने में हमें कोई दिलचस्पी नही है, लेकिन यह सब लिखने का प्रयास बस यही है कि आप इसे पढे, थोडा सोचें और समाज सहित लोगों को भी आगाह करे। लडकी का बयान- मै, मेरी मां, मेरी मौसी और मेरी पांच बहने उस तांत्रिक के चंगुल में फंसे थे...करीब पांच साल पहले मै इस तांत्रिक और काला जादू के संपर्क में आई... उस दौरान मै अपने पिताजी के साथ बांद्रा स्थित घर में रहती थी.. मेरे पिताजी पेशे से डॉक्टर है.. पांच साल पहले एक दिन मै अपनी, मां, दो बहनें और शारीरीक और मानसिक रूप से विकलांग भाई के साथ अपनी मौसी के क्रॉफर्ड मार्केट स्थित स्वास्तिक चेंबर के घर पर गए... जहां पर तांत्रिक मेंहदी हसन मौजूद था। ... वो तंत्र, मंत्र और काला जादू कर रहा था... उसने वहां पर कागज पर मंत्र लिखकर पानी में डूबोया और हम सभी को पीने को दिया... इसके बाद हम सभी बांद्रा वाले घर पर गए( पुराना घर).. कई महिनो तक मां इस तांत्रिक के संपर्क में रही इन मुलाकातो के बाद मेरी मां और मौसी को उस पर पूरा भरोसा हो गया था... जब मैने मेरी मां से पूछा की तुम उससे क्यों मिलती हो तो उसने जवाब दिया की तुम्हारा भाई बीमार है उसे अच्छा करने के लिए और तुम सभी की भलाई और सुख शांति के लिए मै तुम्हे वहां ले जाती हूं... मां ने मुझे इसके बारे में किसीको भी बताने के लिए मना किया और चुप रहने के लिए भी कहा... हम दो साल तक उस तांत्रिक के यहां जाते रहे... वो तांत्रिक भी मेरी मां और मेरी मौसी के संपर्क में रहा.. एक दिन तांत्रिक का फोन घर पर आया और मां फोन उठाने के लिए छुपते हुए बाथरूम में चली गई और पिता जी ने देख लिया... इस बात पर दोनो में लडाई हुई.. इस बात पर पिता जी ने मां को छोड दिया और अब हम कोलाबा में रह रहे है। पहले मेहदी हसन हमें मिलने के लिए सेंट्रल मुंबई की एक होटल में बुलाता था.. वो उस होटल के कमरे में कई दिनो तक रहा.. उस होटल के कमरे में वो हम पर तंत्र मंत्र से काला जादू करता और अक्सर हमें पीले रंग का शरबत पिलाता.. यह सिलसिला कई दिनो तक चलता रहा.. बाद में मेरी मां और मौसी ने अमिना अपार्टमेंट (नल बाजार) में एक प्लैट किराये पर लिया.. पांच लाख की पगडी देकर लिया.. मेरी मां और मौसी ने हमें उस तांत्रिक के पास जाने के लिए मजबूर किया.. 16 मई 2009 से 16 नवंबर 2009 तक मै, मेरी सगी बहन, मेरी बडी मौसी की तीन लडकियां और मेरी मौसी के घर काम करनेवाली 22 वर्षीय नौकरानी अमिना अपार्टमेंट में उस तांत्रिक के साथ रहने लगे .. हमारी मां कभी कभी हमसे मिलने वहां आती थी... हम सब वहीं से अपने स्कूल कॉलेज जाने लगे.. वो कॉलेज आकर भी हमें तंग करता था.. अमिना अपार्टमेंट में रहते वक्त वो हर रोज सुबह और रात घर में तंत्र मंत्र, काला जादू करता और उसके बाद हमें पीले रंग का पानी भी पिलाता.. विरोध करने पर हमें मारता था.. रात में वो तांत्रिक हमे अकेले बेडरूम में बुलाता और जबरदस्ती हमारा बलात्कार करता.. विरोध करने पर वो हमें डंडे से मारता.. हर रात वो खाने के बाद हम सभी को जबरदस्ती एक मिठाई खाने देते.. इन 6 महिनो में उस तांत्रिक ने मेरे साथ 4 से 5 दफा बलात्कार किया... इसी तरह मेरी 4 बहनों और नौकरानी के साथ भी उसने बलात्कार किया... हमारे साथ रेप करने के बाद वो हमें बेहद मारता था... धमकी देता था कि अगर किसीको भी इसकी जावकारी दी तो काला जादू करके पूरे परिवार को खत्म कर दूंगा.. हम सब डर गए थे इसलिए हमने इसकी जानकारी हमारी मां और मौसियों को भी नही दी.. कुछ दिनो बाद मुझे पता चला की मैं गर्भवती हूं... गर्भपात करने के लिए वो मुझे डोंगरी के हबीब अस्पताल ले गया और उसने मेरा गर्भपात करवाया.. इस तरह मेरी तीन बहनो और नौकरानी का भी उसने गर्भपात कराया.. अमिना अपार्टमेंट के बाद मेरी मौसी ने तांत्रिक के लिए पायधुनी इलाके में मरियम अपार्टमेंट के 12 वी मंजिल पर एक प्लैट किराए पर लिया.. इस प्लैट में भी वो हमें बुलाकर हमें पीला पानी पिलाकर और मिठाई खिलाकर हमपर अत्याचार करता था.. मरियम अपार्टमेंट के प्लैट में आज तक हमपर अत्याचार हो रहे है.. एक महीने पहले मैने ये सारी बातें अपने पिता को फोन करके बताई.. मेरे पिता मेंहदी हसन को खोज ने लगे उसे इसकी जानकारी मिली और उसने हमें तंग करना बंद कर दिया.. 26 अक्तूबर 2010 को मेरी क्रॉफर्ड मार्केट में रहनेवाली मौसी कुछ काम के सिलसिले लंडन चली गई.. मेरी मौसी की दो बेटियों के साथ रहने के लिए हम सभी कोलाबा से क्रॉफर्ड मार्केट 27 अक्टूबर 2010 को चले गए.. इस बीच मेंहदी हसन ने मेरी मां के मोबाईल पर फोन करके बताया कि वो रहा है... मैने इसकी जानकारी मेरे पिता को दे दी और मेरे पिता ने पुलिस को इसकी जानकारी दी... इसकी खबर उसको मिली और वो वहां नही आया.. लेकिन 27 नवंबर 2010 को सुबह 9 बजे मेरी मां के मोबाईल पर उसका फोन आया और वो कमरे के बाहर चली गई.. मैने यह जानकारी अपने पिता को दी और पुलिस, ने हमारी बिल्डिंग को चारो तरफ से घेर लिया.. थोडी देर बाद वो वापस लौटी साथ में उस तांत्रिक को लेकर आई वो बुरखे में छुपकर आया था.. मैने तुरंत इसकी जानकारी मेरे पिता को दी.. और मेरे पिता पुलिस को लेकर उपर गये.. पुलिस ने फिर उसे गिरफ्तार किया... ये तांत्रिक पिछले पांच साल से मुझपर , मेरी 17 वर्षीय सगी बहन, मौसी की 19,17,13 साल की तीन बेटियां और 22 वर्षीया हमारी नौकरानी के साथ अमीना अपार्टमेंट, मरियम अपार्टमेंट और क्रॉफर्ड मार्केट स्थित हमारे घर में बलात्कार कर रहा है... इतना ही नही मेरी दूसरी मौसी की 11 साल के बेटी के साथ भी बलात्कार करने की जानकारी मुझे मिली है... इसने मेरा, मेरी दो बहनो का और हमारी नौकरानी का गर्भपात भी कराया है... ऐसे कुल मिलकर इसने हमारी घर की 7 महिलाओं को अपना शिकार बनाया.. जिस वक्त हमारे साथ इसने बलात्कार किया तब हम सभी लडकियां नाबालिक थी.... इसके बाद कुछ कहना उचित नही, बस आप जरा सोचिए.... कैसे कैसे नर पिशाच हमारे बीच हैं... किसे दोष दे....