Friday, October 3, 2008

विस्फोटों का यह मंजर

लगातार हो रहे विस्फोटों से देश का हर नागरिक सहमा हुआ है, पता नही अब अपनी बारी कब होगी यह सोचकर सहम गया है। पता नही कहां कब, कैसे हम भी किसी आतंकीयों का शिकार बन जाए। दिन ब दिन हो रही आंतकी वारदातों से आम जनता में खौफ का माहौल है। जो दिन गुजर गया वो अपना है। सतर्कता से सभी आसपास हो रही गतीविधीयों पर नजर बनाए रखें है, लेकिन जीत रहे है आतंकी। मकडी की तरह जाल बुनकर मासूम लोगों को अपनी जाल में फसांते ही जा रहे है। आतंकीयों के मददगार ये क्यों नही समझ रहे है, कि जेहाद के नाम पर उन्होने कितने घरों को तबाह किया है, । तबाही का मंजर देखकर खून खौलने लगता है, जी तो करता है आतंकी पकडे जाने पर उन्हे भरे चौक में खडा करके गोलियों से भूना जाए। उन गद्दारों के साथ भी यही बर्ताव किया जाय जो अपने ही देश के लोगों की जान छिन चुके है, चाहे वो किसी भी के हो ईश्वर के नाम से लोगों को बरगलानेवालों के नापाक इरादों को कुचलने के लिए हमें सतर्क नही बल्की चौकन्ना रहना होगा। अपने कोष में से बाहर निकलकर दुनियादारी की भी खबर रखनी होगी। सिलसिलेवार हो रहे बमविस्फोटों को रोकने के लिए सरकार प्रयास तो कर रही है, लेकिन आतंकी हर बार कामयाब हो रहे है। हायटेक आतंकीयों को मदद करनेवाले पढे लिखे लोगों से ये गुजारिश है, कि जिस थाली में खा रहे हो उस थाली में छेद ना करे। अपने देशवासीयों को धर्म के नाम पर ना बाटें । जमीन के लोग कुछ ना कर पाये लेकिन जिस किसी भगवान में वो यकीन रखते हो, वो हिसाब जरूरू मांगेगा।

Thursday, October 2, 2008

पंक्षी के दिल का दर्द

एक सरकारी कार्यालय के बाहर एक पेड है। उस पेड पर एक कौआ लगातार दो तीन दिनो से आकर दिनभर कायं कायं करता रहा। चौकीदार कौए की कायं कायं से दिनभर परेशान था। हर दिन उस कौए को भगा देता था। कौआ फिर चौथे दिन उसी पेड पर बैठकर कायं कायं करने लगा। चौकीदार ने सोचा की अब एक नजर पेड के उपर देख ही लेते है। पेड की तरफ देखा तो पेड पर एक मादा कौआ का पैर पतंग की मांजा में फंसा था। तीन दिनो से वो पेड पर लटकी हुयी थी। चोकीदार ने झठ से दमकल विभाग को बुलाकर उस मादा कौए को राहत पहूंचायी। अपने साथी पंछी को छुडवाने की कोशीश करनेवाला कौआ सफल हो गया। जानवर और इंसानो में श्रेष्ठ कहे जानेवाला इन्सान लोगों की मदत करने से हिचकिचा रहा है। खुद की बात करे तो किसी भी चिज को पाने में वो अगर असफल होता है तो, आगे प्रयास करना छोड देता है। चिटीयां भी जब अपना पेट भरने के लिए कतार में अनाज की खोज में निकलती है, हम इन्सान अगर जाती और धर्म भेद मिटाकर एक साथ रहे तो हमारा देश सचमुच सारे जहां से अच्छा होगा। तो सफलता पाने के लिए जरूर कोशीश करे, क्योंकी कोशिश करनेवालों की हार नही होती.