Tuesday, May 20, 2008

गणपति की धूम

मुंबई गणेशोत्सव की तैय्यारी में व्यस्त है,और पुलिस भगवान की सुरक्षा में। आतंकीयों का डर भगवान को भी है। गणपती बाप्पा भलेही दस दिनों के मेहमान नवाजी का लुत्फ उठाते है,लेकिन इन्ही दस दिनों के लिए ही करोडो रूपये के वारे न्यारे होते है। कुछ सालों पहले गणपती मंडल लिमीटेड होते थे और चंदा भी होता था ग्यारह,इक्कीस या इक्यावन रूपये का अब यह आंकडा हजारो की संख्यां में है,अगर नही दिया तो सामना करना पडता है गुंडागर्दी का। आए दिन कुकुरमुत्ते की तरह पैदा होने वाले यह मंडल क्या सचमुच गणेशभक्त होते है ये सवाल अभी बरकरार है स्पर्धा के इस युग में उंची से उंची गणेशमुर्तीयां बनवाना मंडल की प्रेस्टीज का विषय होता है। पर्यावरण को इससे हानी पहुंचे तो क्या इन मंडल के कार्यकर्ताओं के पास जवाब है की भगवान से भला कोइ प्रदुषण फैलता है। मुंबई महानगर पालिका ने भी अपील की की गणेश मुर्तीयां 8 फीट से बडी होगी तो उसे स्पर्धा में शामील नही कीया जाएगा,लेकिन मंडलों की नाराजगी ने ही प्रदुषण फैलाया और बीएमसी ने पर्यावरण की प्राथमीकता को कोई खास तवज्जो नही दी। आखीर सत्ता में बने रहने की चिंता उन्हे भी है। यह बात भी सच है की मुर्तीयां बनाने वाले हजारों लोगो का भरणपोषण इसी उत्सव पर निर्भर होता है। लेकिन समुद्र में फैल रहे प्रदुषण की वजह से मछलीयां मर जाती है,जिसकी वजह से मछुवारों पर भी अब भुखो मरने की बारी आयी । गणेशोत्सव के लिए इकठ्ठा किए गए चंदे का लेखा जोखा होता तो है, लेकिन जमा पैसे का कितना बडा हिस्सा कारगर कामों पर खर्च किया जाता है इसके उदाहरण उंगलीयों पर गिने जा सकते है। लाखों रूपये का चढावा चढाने वाले भक्त भी केवल सोने-चांदी की भेट देकर बाप्पा को धन्यवाद देते है,लेकिन गरीब और अनाथों के लिए मदत देने से इनके धन में इजाफा नही होता जो बाप्पा को देने के बाद होता है। चढावे के पैसे का कितना सही उपयोग होता है या उन पैसे या चढावे का क्या अंजाम होता है इनसे भक्तों को कौई सरोकार नही है क्योंकी भगवान के मामले में तेरी भी चुप और मेरी भी चुप. बुध्दी के इस देवता के सजावट के लिए जगमगाहट ना हो ऐसे तो हो ही नही सकता । भलेही महाराष्ट्र में पंधरा पंधरा घंटे का लोडशेडिंग हो और किसानो की फसल बिजली और पानी के अभाव के चलते चौपट हौ जाए ।मुंबई में तो दस दिनो में ही सालभर लगने वाली बिजली की खपत हो जाती है और बिजलीचोरों की महारथ तो ऐसे की तो प्रशासन के नाक के निचे ही वे अपना गोरखधंदा बिनदिक्कत चला रहे है। करोडो रूपये के इस उत्सव में चाहे हत्याएं हो, हप्तेबाजी हो,किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला जारी रहे,बालमजदुरी का जहर फैलता रहे, बलात्कार की घटनाएं आम होती जाएं लेकिन गणोशोत्सव की धूम जारी रहेगी पुरे आनंद और उत्साह के साथ..

स्वागत है आपका

कुछ आप कहें कुछ हम तब जाकर इस जमाने से कदम से कदम मिला कर जमाने से जंग लड़ी जा सकती है। फिलहाल हर जगह एक ही बातें हो रही कि सरकार ने अपनी नकारापन साफ जाहिर किया है। एक आदर्श स्थापित करने का हौसला रखना होगा तभी जाकर के कुछ अपनी भी जिम्मेवारियों का निर्वहन हो सकेगा भले ही वो एक हों या बहुतेरी हों। जलेम ते हम एक दूसरे से सहयोग करने के लिए तैयार हो जाए और कदम से कदम मिला ले , हो सके तो अपने सारे गिले शिकवे को भी भूल जाए।

Monday, May 19, 2008

एक शुरुआत

हमारे और आपके बीच की कड़ी होगी ये बातें, कोशिश करुगी कि आपके साथ यह संपर्क बराबर बना रहे।