Wednesday, December 31, 2008

ढेरों बधाईयां....

सभी देशवासी, परदेस के निवासीयों और दूर-सूदूर में रहने वाले हर किसी के नये साल की ढेरों शुभकामनाएं। साल 2008 बीत गया बीते साल में देश के लिए प्राणों की बाजी लगानेवाले शहीदों और उन बेकसुर लोगों को मेरी भाव भीनी श्रद्धांजलि। बीते साल के अंतिम महीनों में हुए आतंक का खौफनाक मंजर आज भी आंखो के सामने है। बावजूद लोगों ने हिम्मत नहीं हारी हौसले के साथ इकठ्ठा होकर नये साल का स्वागत किया। वाकई यह हौसला सलाम करने के साथ काबीले तारीफ है। आतंकियों के मुंह पर जोरदार तमाचा देकर देशवासीयों ने एकता की मिसाल कायम की है। लेकिन ये एकता बरकरार रहे यही भगवान से कामना है। आतंकवाद को मुहं-तोड जबाब देने में हम कामयाब हो और आतंकियों का खात्मा जल्द से जल्द हो इसलिए नए साल का संकल्प हम सभी को करना है। अलर्ट और जागरुक सीटीजन बनकर पुलिस की मदद करें। पुलिस की सहायता करें ताकि मुंबई पर हुआ वहशियाना हादसा कही और दुहराया न जाए। अपने स्वास्थ के साथ साथ समाज का स्वास्थ भी बिगडने न दे। लोगों में जागरूकता तो जरूर बढ रही है, लेकिन कुछ गद्दार समाज का स्वास्थ बिगाडने में कामयाब हो रहे है। नया साल चुनौतियों भरा है, आईये हम और आप इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हो और इन बेकसूरों को मारनेवालों के खिलाफ संकल्प ले ......वर्ष नया हर्ष नया, नया हो संकल्प मिलकर करेंगे मुकाबला यही होगा नये साल का दृढ संकल्प.....।

Monday, December 15, 2008

मिट्टी भी नसीब नही....

जेहाद के नाम पर मर मिटनेवोलों को दफनाने के लिए उनके देश की मिट्टी भी नसीब नही हो रही है। जेहाद के नाम पर युवाओं को बरगलानेवाले आतंकी खुलकर उनके बाशींदो को वतन की मिट्टी भी नसीब नही करवा रहे है। पाकिस्तान के खिलाफ सबसे बडे सबूत देकर भी पाकिस्तान आतंकीयों का पोशिंदा बन बैठा है। आतंकीयों को भारत के हवाले नही करके वहीं पर कारवाई करने की बात जनाब जरदारी ने कही है। आतंकीयों के ठिकाने उनकी करतूतों को बढावा देने का काम पाक सरकार कर रही है। एक और खुद को आतंकीयों का शिकार कहकर अन्य देशों से सहानुभुती लेनेवाला पाक आतंकीयों का पनाहगार बन गया है। १९९३ के बम धमाकों के मास्टरमाईंड के साथ साथ मसुद अजहर जैसे सबसे बडे आतंकी को आश्रय देकर बेगुनाह लोगों के कत्ल का पाप पाक सरकार पर है। जिस अल्लाह के नाम पर युवाओं को बरगलाया जाता है, वह अल्लाह भी इनकों अपनी गोद में पनाह नही देगा। जहन्नूम में भी इनको जगह नसीब नही होगी। जिस देश और धर्म के नाम पर आतंकी अपने नापाक इरादों को अंजाम देने में सफल हो रहे है, वहां भले ही उनके लिए हिरो हो, लेकीन पुरी दुनिया उनपर थूक चुकी है। दो गज जमीन पाने के लिए लाशें कब्रगाह में सड रही है। मिट्टी भी इनकों अपने गोद में समाने पर नापाक हो जायेगी। लेकीन दुनिया में सबसे बडे दिलवाले हमारे भारत ने आतंकीयों के लाशों को गिधों का नीवाला नही बनाया यही सबसे बडी बात है।

Tuesday, December 9, 2008

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे...

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने की नारायण राणे कि लालसा ने उन्हें पार्टी से बाहर का ही रास्ता दिखा दिया। शिवसेना से बगावत करके कॉंग्रेस में शामिल हुए नारायण राणे नें कांग्रेस भी अपनी अच्छी खासी पैठ बना ली थी, जिसके कारण विलासराव देशमुख सरकार का कच्चा चिट्ठा खोलने वे सोनिया गांधी के दरबार में भी हाजिरी लगा चुके थे। कई बार देशमुख को मुख्यमंत्री पद से हटाने की नाकाम कोशिश भी वे कर चुके थे। मुंह-तोड जवाब देने का दमखम रखनेवाले नारायण राणे ने शिवसेना छोड कॉग्रेस में आने के बाद भी अपना वजूद बरकरार रखा । मुख्यमंत्री पद के दावेदार बनने के लिए उन्होने विधायकों के अच्छे खासे समर्थन भी जुटा लिया था, लेकिन अफसोस वे मुख्यमंत्री की कुर्सी हथियाने में नाकामयाब रहे। आग बबूला नारायण राणे का क्रोध खुलकर सामने आया जिसे देखकर सभी भौचक्के रह गये। नारायण राणे ने न आवं देखा न ताव सीधे सीधे सभी कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधा। विलासराव देशमुख पर निशाना साधते हुए उन्होने देशमुख को महाराष्ट्र का कलंक तक कह डाला। देश में हुए सबसे बडे आतंकी हमले को रोकने के लिए देशमुख सरकार नकाम रही। ये बात सोलह आने सच है कि ये जिम्मेवारी मौजूदा सरकार की ही थी। अब इसे इंटिलीजेन्स फेल्युअर कहे या सरकार का निकम्मापन जो समय रहते ही ना तो हमले को होने से पहले रोक पायी नाही आतंकियों का मुकाबला करने के लिए पुलिस को आधुनिक सुविधाएं मुहैय्या करा पायी। हमले की जिम्मेवारी लेते हुए जिन्होने अंतरात्मा की आवाज सुनकर इस्तीफा दिया, वो महज लोगों की नजरों में अपनी छवी अच्छी बनाए रखने के लिए था। सत्ता कि लालसा किस तरह इन्सानियत या देश के प्रति फर्ज से बडी होती है, ये नारायण राणे की करतूतों को देखकर सभी को अंदाजा आ गया होगा। मुख्यमंत्री बनने की होड में लगे मंत्रीयों के घर जमावडा लगा था। खान-पान का अच्छा खासा आयोजन किया गया था और इसी दौरान जोड- तोड का तंत्र भी अपनाया जा रहा था। वहीं दूसरी ओर आतंक के खौफनाक चेहरे को याद कर लोग अभी भी सिहर उठते है। देश के विकास के लिए चुने गये मंत्री जी खुद के विकास कि योजना बना रहे थे, महज आठ दिनों में लोगों का दुख-दर्द भुलानेवाले राणे जैसे नेताओं ने देश के लिए शहीद होनेवाले जाबांजो की शहादत पर कालिक पोत दी। पूरा देश जहां शहीदों को श्रध्दांजलि दे रहा है, वहीं कुर्सी के लिए हो रही रस्साकशी बेहद शर्मनाक रही। लेकिन अब इन नेताओं को याद दिलाना होगा कि जिस कुर्सी को लिए वे झगड रहे है उसका अधिकार जनता के पास है। इतने बडे हादसे से कुछ सीख लेकर अगर इन नेताओं की नींद नही टूटेगी तो जनता को खुद ही जगते रहना होगा, और इन नेताओं को कुंभकर्णी नींद से झकझोर कर उठाना होगा।

शब्दों से परे...... नम आँखों से....

सबसे पहले उन २० जाबांज पुलिस अफसर, २ एनएसजी कमांडो और २०० बेकसूर लोगों को श्रद्धांजलि, जो आतंकियो के नापाक इरादों से बच नही पाये। अभी भी कई लोग अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे है। ५९ घंटो का वो खौफनाक मंजर मुंबई ही नही बल्कि सारी दुनिया ने महसूस किया। एनएसजी कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृषन्न की शहादत की खबर ने दिल को चीर डाला। उनके मृत काया को देखकर एक पल ऐसा लगा की मैं भी फिदायीन बनकर पाक से बदला लूं। एटीएस चीफ हेमंत करकरे, अशोक कामटे और एन्काउंटर स्पेशालिस्ट विजय सालस्कर की खबर सुनकर पैरों तले की जमीन ही खिसक गयी। दिमाग मे कोहराम मच गया। आतंकियों के नापाक मंसूबों को रोकते रोकते १४ पुलिसकर्मी शहीद हुए जिसमें आरपीएफ जवान भी शामिल थे। उन तमाम शहीदों का देश हमेशा कर्जदार रहेगा। देश के लिए मर मिटने का जज्बा सारी दुनिया ने देखा। उनकी शहादत का कर्ज कोई नही चुका पाएगा। सारे देश ने तो उन्हे नम आखों से विदाई दी है, लेकिन उनकी शहादत से सीख लेकर देश के लिए कुछ योगदान करना होगा तभी जाकर वो दिन दूर नही होगा, जब हम सब मिलकर आतंकियों के नापाक इरादों को पैरों तले रौंदकर रख देंगे।