Monday, January 31, 2011

तेलमाफिया का आतंक

तेल माफियाओंने मनमाड जिले के एडिशनल कलेक्टर यशवंत सोनवणे को दिनदहाडे सरेआम मिट्टी का तेल डालकर जिंदा जला दिया । गणतंत्र की पुर्वसंध्या पर महाराष्ट्र की साख को कलंकीत करनेवाली यह घटना के दृश्य देखकर रूंह कापं उठी थी। पुरे देशभर में इस घटना की निंदा की गयी। और दोषियों को कडी से कडी सजा दिलवाने की मांग की गयी। एक सरकारी अधिकारी की इस तरह निर्दयतापूर्ण हत्या होना राज्यसरकार के लिए भी एक चुनौती थी, तो पुलीस ने तत्परता दिखाते हूए इस मामले से जुडे सारे आरोपियों को पकडने मे कामयाबी तो पा ली है लेकिन मुख्य आरोपी ने अस्पताल में दम तोड दिया है और बडी मछलियां हाथ आना अभी बाकी है। घटना के तिसरे दिन बाद पुरे महाराष्ट्र में तेलमाफियाओं के अड्डो पर छापेमारी की गयी। लगभग 200 ठिकानों पर छापे मारकर 180 लोगों को हिरासत में लिया गया। एक पल तो ऐसा लगा मानो की खाद्य आपूर्ती विभाग के पास तेलमाफियाओं के सारे डिटेल्स हो, उनके नाम, पता, ठिकाना सबके बारे में पहले से ही खबर हो। तभी तो इतनी बडी तादाद में छापेमारी की गयी। तेल में मिलावट का ये काला खेल बिना किसी गॉडफादर के मुमकिन ही नही। हर तेल माफियाओं के सरपर किसी पुलिस अधिकारी या राजनेता का हाथ तो है ही साथ ही हिस्सेदारी भी। तभी तो एक वडा-पाव बेचनेवाला पोपट शिंदे आज तेल माफिया बन चुका था, न उसे कानून का था ना ही समाज का। उसके बेटोंकी भी हिम्मत इतनी बढ गयी है की उन्होने यशवंत सोनवणे के सरपर लोहे का सरिया दे मारा और वे निचे गिरने के बाद उनपर मिट्टी का तेल छिडक दिया । कोई बिच- बचाव करता इससे पहले ही उन्हे आग की लपेटों ने निल लिया। अब आरोपी बे सिरपैर की बाते कर रहे है। मुख्य आरोपी का बेटा कह रहा है कि यशवंत सोनवणे ने उसके पिता से रिश्वत मांगी थी और जिस दिन इस घटना को अंजाम दिया गया उस दिन आरोपी के बिवी की दशक्रिया विधी थी। सोनवणे उन्हे दो घटें तक लगातार फोन कर रहे थे और ढाबे पर उसके इंतजार में थे। तेलमाफिया अपने कालीकरतूचों को छपपाने के लिए अफसर के दामन पर उसके मृत्यू के बाद भी कलंक लगाया जा रहा है। महाराष्ट्र के बीड जिले में भी एक एडिशनल कलेक्टर को एक विधायक ने ही जान से मारने की धमकी। विधायक चाहता था की उसके अवैध काम कलेक्टर साहब वैध करा दे। वहीं खुद गृहमंत्री के सांगली जिले में रेतमाफियाओं ने पटवारी को ट्रक से कुचलकर मारने की कोशीश की। रेतमाफिया, तेलमाफिया और कालाबाजारीयों के गोरखधंदो से आम आदमी तो नही बल्कि पुलिस और राजनेता बखुबी वाकिफ है लेकिन सिर्फ एक दुसरे पर आरोप लगाकर अपने दागदार दामन को छुपाने कि कोशिश कि जा रही है। तेलमाफियांओ कि हिम्मत बढने कि मुख्य वजह है उनसे मिलनेवाला पैसा,और हिस्सेदारी की वजह से उनके गुनाहों को छुपाया जा रहा है। उनकी तडीपारी भी खत्म करवाई जाती है। पुलिस को कारवाई करने से रोका जाता है। सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले बढने लगे है। आखिर सवाल कौन पुछेगा। तेल के काले खेल को कौन रोकेगा। सरकार ने तो आनन फानन में छापेमारी करके कारवाई करने का दिखावा कर दिया लेकिन मुख्य सुत्रधार अभिभी गिरफ्त से बाहर है। कानून में दिये गये प्रावधान को अगर अमल में लाया जाए तो कानून से बडे होने की हिम्मत कोई नही कर पायेगा। इमानदार अफसरों के बलिदान को अगर न्याय देना होगा तो महज परिजनों को मुआवजा देकर या उनकी सांत्वना करके जिम्मेदारी खत्म नही होगी । तेलमाफिया, रेत माफिया और मिलावटखोरों को जड से उखाड फेकना होगा, और इसकी जिम्मेदारी अब सरकार की ही है।

Monday, January 10, 2011

प्रेमियों का नया ठिकाना

प्यार करने वाले हर वक्त कुछ नए तरीके ढूँढने की फिराक में रहते हैं। बात मुंबई की हो तो कुछ ऐसा सामने आता है निश्चय ही देश के बाकी हिस्सों से अलग रहता है। एक ऐसा ही तथ्य सामने आ रहा है, प्रेमी युगलों ने प्यार करने के लिए एक नया अड्डा खोज निकाला है, जहां पर ना तो पैसा खर्चा होता है और ना कहीं दूर जाने की जरूरत। आजकल जहां देखो वहां हर रेलवे स्टेशन के बाहर स्कॉय वॉक का निर्माण हो रहा है। जहां जरूरत है वहां की तो बात समझ में आती लेकिन जहां जरूरत नही है वहां भी फिजूल में पैसे पानी की तरह बहा कर स्कॉय वॉक का निर्माण हो रहा है। संकरी गलियों के बीच से होकर गुजरता स्कॉय वॉक यांत्रियों की परेशानी का सबब बनते जा रहा है। आमतौर पर हायवे पर दौडती गाडीयों की रफ्तार के बीच रास्ता तय करना नामुमकिन होता जा रहा है, जिसके लिए स्कॉय वॉक का निर्माण होना जरूरी था। लेकिन एम.एम.आर.डी.ए ने सारे मुंबई में स्कॉय वॉक का जाल फैला दिया है।
प्रेमी युगलों का इसलिए जिक्र किया क्यों की ऐसे बहुत से स्कॉय वॉक है जिन्हे उपयोग में नही लाया जा रहा है। महज कॉलेज के छात्रों के लिए वहां घंटो समय बिताने का ठिकान भर बन गया है। वरिष्ठ नागरिक इसका इस्तेमाल ना के बराबर ही करते है। कुछ चंद लोग इस्तेमाल करते भी है तो उसका नजारा कुछ भूल भूलैया और रंगबिरंगा हो गया है। जगह जगह पान, और गुटखा की पिचकारियों से सना हुआ स्कॉय वॉक देखकर पैसे की बर्बादी और उसकी निष्क्रियता साफ दिखायी देती है। हम भी मानते हैं कि विकास होना जरूरी है लेकिन विकास के नाम पर ठेकेदारी को बढाना समाज सहित देश के लिए हानिकारक है। आखिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने भी यह माना की मुंबई को बिल्डर और ठेकेदार निगल रहे है। जब जगो तभी सबेरा अब से भी थोडा सचेत हो जाए तो शहर संभल जाएगा।

Friday, January 7, 2011

शुभकामनाएं........

सबसे पहले तो सभी को नये साल की शुभकामनाएं। उम्मीद है नया साल घोटालों और भ्रष्टाचार से मुक्त हो। 2010 भ्रष्टाचार, अपराध और मंहगाई से भरपूर था, साथ ही राजनितिक उथल पुथल भी काफी रही। खैर भ्रष्टाचार की बातें करना शुरू करें तो सैकडों पेज भी कम पड जाएंगे लेकीन बातों पर पूर्णविराम नही लग पाएगा। नये साल का आगमन तो हो गया है लेकीन ऐसा लगता है की साल की शुरूवात किसी बडे त्योहार से हुई है, मानो जैसे दिवाली हो । खासकर के जब सब्जियां खरीदने निकलती हूं तो यह भावना अक्सर आती है। आमतौर पर हम त्योहारों के वक्त खरीदारी के लिए थोडासा हाथ खुला छोड देते है। 60 रूपये किलो प्याज, 40 रूपये किलो टमाटर, 300 रूपये किलो लहसून खरीदते वक्त लगता है की मै किसी शाही परिवार से हूं। छौकं में लगनेवाली मंहगी चिजे खाकर राजभोग का आनंद तो आता है, लेकीन गडबडाया किचन बजट जेब हल्की ही नही बल्की काट ही दे रहा है। आमदनी अठ्ठनी और खर्चा रूपय्या। हर आम आदमी का यही हाल है। अपना हाल किसे बताये सभी एक ही कश्ती में सवार है। कश्ती डूबे तो बचानेवाला भी कोई नही। केंद्रीय कृषी मंत्रीजी ने कहा की तीन सप्ताह में प्याज की किमते कम होने के आसार है और पाकिस्तान से प्याज की आयात की जा रही है जिसके चलते प्याज की बढती किमतों को रोका जा सकता है। लेकीन देशमें ही जमाखोरों ने प्याज को गोदामों में भरकर अपनी जेबे भर ली है। आयकर विभाग ने भी आनन फानन में छापा मारकर जमाखोरों पर नकल कसने की कोशिश की है। लेकीन वहीं ढाक के तीन पात। पाकिस्तान से आया प्याज सडा होने के बावजूद लोग उसे खरीदने पर मजबूर है क्योंकि वह सस्ते दाम पर मिल रहा है। प्याज कि नयी फसल आने को है, तब तक प्याज रूलाता ही रहेगा। सब्जी खाना अब आम आदमी के बस में नही रहा है। कुछ दिन में ये स्टेटस की बात बने तो कोई अचरच नही होगा। आनेवाले कुछ दिनों मे अब सिलेंडर के दाम भी 40 रूपये बढने के आसार है। दुध के दाम फैसला होने से एक सप्ताह पहले ही बढा दिये गए है। सभी चिजों के दाम अगर बढ रहे हो तो पिसाई के दाम क्यों कम रहे। पिसाई करने के दाम भी बढ गए है। मुझे तो लगता है की हम आम लोगों को नये साल की कुछ इस तरह शुभ कामना देनी होंगी की भगवान करे आपके इलाके में प्याज, लहसून और टमाटर के दाम कम हो। आपको पांच किलो चिनी की लॉटरी लगे। सिलेंडर की कभी कमी ना हो।