Friday, April 29, 2011

रक्षक भी नही महफूज

महाराष्ट्र के कोल्हापूर में एक ऐसा रूंह कापनेवाला मामला उजागर हुआ हैजिसे सुनकर इन्सानियत भी शर्मसार हो गयी है। महिलाओं की सुरक्षा काजिम्मा उनके कंधो पर देने के लिए जिन्हे तैय्यार किया जा रहा था। उनका हीआंचल दागदार हो गया है। ये वाकया है पुलिस ट्रेनिंग कॅम्प का जहां 11ट्रेनी महिला पुलिस गर्भवती होने का खुलासा हुआ है। और यह खुलासा किया हैखुद पिडीता ने। पिडीत लडकी के बयान के अनुसार ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर नेउसे घर बुलाकर उसपर बलात्कार किया। ट्रेनिंग के दौरान अलग अलग subjectपढाकर उसका इम्तिहान लिया जाता है। इंस्ट्रक्टर ने प्रश्नपत्रिका देने केबहाने पिडीता को घर पर बुलाया । इंस्ट्रक्टर शादीशुदा और एक बच्चे का बापहोने की वजह से पिडीता को उसके घर जाने में कोई संदेह नही हुआ लेकिनआरोपी के घर जाने के बाद वो उसका शिकार हो गयी। वहीं आरोपी के अनुसार वो बेकसुर है और इसमें बडे पुलिस अफसर ज्ञानेश्वर मुंडे, विजय परकाले शामिल है, जिनका गर्भ पिडीता के पेट में पल रहा है। आरोपी ने बयान दिया है की उसकी छवी साफ सुथरी है और वह अनुशासन बरकरार रखते है। उनके पढाये गये SUBJECT ट्रेनीयों को अच्छी तरह समझते भी है । आरोपी ने पिता के बारेमें विस्तार से बताने की वजह से पीडीता उससे काफी प्रभावित हुई। और तभीसे फोन का सिलसिला शुरू हुआ। बातचीत का दौर चलता रहा और इसी दौरान पिडीताने आरोपी से शिकायत की उसे हर बार बंदोबस्त पर लगाया जाता है और बदले मेंउससे बडे पुलिस अधिकारी शारीरीक संबध बनाते है। इस बारें में शिकायत नाकरने के लिए उसे धमकाया जाता था। यह पुरा बयान उस आरोपी ने अपना दामन बचाने के लिए कहा है, सच्चाई कुछ और भी हो सकती है. ट्रेनिंग सेंटर में चल रहे सेक्स स्कैंडल के मुख्य कर्ताधर्ता बडे पुलिस अफसर है। कोल्हापूर में बकायदा एक लॉज में एककमरा बुक रहता था और वहां पर सरकारी गाडीयों में लडकीयों को लाया औरपहूंचाया जाता है। इतना बडा राज खुलने के बाद अब आम लोगो का पुलिस पर से विश्वास उठता जा रहा है। सबसे एहम बात तो अब सामने आयी है की महिलाओं को लैंगिक अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कमिटी बनायी गयी थी जिसमें से एक सदस्य विजय परकाले है, जिसके साथ पिडीता के संबंध होने का आरोप आरोपी ने लगाया है। पिडीता के बयान के अनुसार आरोपी ने उसे गर्भपात करने के लिए भी कहा था। राज्य सरकारने इस मामले को अब गंभिरता से लेकर । महिला पुलिस अधिकारी मैथिली झा ने पिडीत महिला पुलिस से पुछताछ की। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले को गंभीरता से लेकर रा्ज्य सरकार से जल्द ही कारवाई करने के लिए कहा है। मिडीया और राजनितीक पार्टीयों का बढता हुआ दबाव देखकर गृहमंत्रालय ने प्रशासनिक जिम्मेदारीयां निभाने में असफल रहे इसी वजह से एस.पी. यशस्वी यादव का तबादला कर दिया है और दो पुलिस अफसर विजय परकाले और ज्ञानेश्वर मुंडे को निलंबीत किया है। रक्षक ही जब भक्षक बन जाए तो आम आदमी किससे न्याय मांगे। जिनके कंधो पर जनता की सुरक्षा का जिम्मा सौपा गया था। उन्होने अपनी वर्दी के साथ साथ पुलिस प्रशासन के दामन को भी दागदार कर दिया। इन्सानियत को कलंकित ही नही बल्कि उसके चिथडे उडा दिए है। वहशी पुलिस अफसर का तबादला करके या निलंबित करके उनके गुनाह को माफ नही किया जा सकता उन्हे उनकी किये की सजा ज्यादा से ज्यादा और जल्द मिलनी चाहिए ताकी फिर और कोई ऐसी हिमाकत ना कर सके। महिला कल भी असुरक्षित थी और आज भी असुरक्षित ही है।

Wednesday, April 6, 2011

कब होंगे भारतरत्न सचिन तेन्दुलकर

“हम जीत गए” इस शब्द को सुनने के लिए करोडों भारतीयों के कान तरस रहे थे। सालों से ये सपना भर बन कर रह गया था। पूरे देश ने और सचिन ने अट्ठाईस साल से जो सपना देखा था वो शनिवार 2 अप्रैल 2011 में आखिरकार पूरा हो ही गया। इस बात पर अभी तक यकीन नहीं हो रहा है। टीम इंडिया विश्व विजेता होने के साथ साथ नंबर वन हो गयी है। अभी भी उस जीत के लम्हे को याद करके रोंगटे खडे हो जाते है। देशभर के लोगो की सांसे मानो थम सी गयी थी। फिल्ड पर देखते देखते भारत का हर खिलाडी भावुक हो गया। कहीं आखों से आँसू निकल रहे थे को कहीं खुशी से धरती को चूमते नजर आ रहे थे खिलाडी। स्टेडियम में भी हालात कुछ ऐसे ही थे। लोग आँखों में खुशी के साथ नमी लेकर एक दूसरे को बधाई दे रहे थे। अंग्रेजी शासन के शुरुआत हुई इस खेल में सर्वेसर्वा बनने का मौका जो था। कहीं प्रार्थना की जा रही थी, तो कहीं पर नमाज अदा की जा रही थी तो कहीं पर अरदास लगाये जा रहे थे। विजय के उस लम्हे का वो मंजर कभी भुलाया नही जा सकता। पूरे देश ने जीत का जश्न मनाया। लोगों ने सडको पर उतरकर तिरंगा लहराया और जीत की खुशियां मनायी। जीत के जश्न मे ना कोई आम था और ना ही कोई खास सभी खुशी के मारे फुले नही समा रहे थे। क्या बच्चे, क्या बुढे और क्या महिला। रात भर सिर्फ चहल पहल, धोनी और टीम इंडिया का शुक्रिया अदा करती युवापीढी नजर आ रही थी। लेकिन सभी देशवासियों का एक सपना अभी भी अधूरा है, और वो है सचिन तेंन्दुलकर को भारतरत्न देकर सम्मानित करने का। सचिन के रचे इतिहास के बारे में सारा देश ही नही बल्कि सारी दुनिया वाकिफ है और सभी की तमन्ना है कि अब सचिन को भारतरत्न से नवाजा जाए। टीम इंडिया के सारे खिलाडियों ने सचिन का वर्ल्ड कप जीतने का सपना पूरा किया और अब वे चाहते है की सचिन को भारतरत्न अवार्ड से नवाजा जाए। महाराष्ट्र सरकार ने भी केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि सचिन को भारतरत्न से सम्मानित करें। भारत की जीत इतिहास के पन्नों में सुवर्ण अक्षरों से लिखी जाएगी और इस जीत के सभी भारतवासी गवाह है,और अब सचिन को भारतरत्न से नवाजे जाने के गवाह बनना चाहते है। सचिन को अनगिनत सम्मान मिल चुके है, शोहरत, के साथ वे अपना सामाजिक दायित्व भी निभा रहे है। भारत के इस सपूत पर देश ही नही बल्कि पूरी दुनिया को नाज है और उन्हे भारतरत्न से सम्मानित होते हुए देखना हर भारतीय का एक सपना है। सच्चे सपूतों को दिए जाने वाले सम्मान में मिलने वाले भारत रत्न सचिन को दिए जाने गवाह बनना चाहती है करोडों आँखे। एक सपना उगा दो नयनों में , कभी आँसुओं से धुला और बादल हुआ! धूप में छाँव बनकर अचानक मिला, था अकेला मगर अब बन गया काफ़िला। इस काफिले का हिस्सा हम बनना चाहते हैं। --