दो दिन , और दो घटनाएं जीने मरने की कस्में खाना , हर सुख दु:ख में साथ निभाने का वायदे हर प्रेमी- प्रेमिका करते है। प्रेमी की एक झलक पाते ही भूख प्यास सब कुछ मिट जाती है। प्यार करनेवालों की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है। किसी की भी परवाह नही, कभी कभी तो समाज से बगावत करने में भी ये हिचकिचाते नही, अपने ही दुनिया में मस्त रहते है, हमेशा ही एक घरौदा बिनते रहते हैं। प्यार में सराबोर प्रेमियों को हर तरफ प्यार ही प्यार नजर आता है। लेकिन यह प्यार जब विश्वासघात में बदल जाए तो रूंह काप उठती है। सात जन्मों तक साथ निभाने की कस्में खाकर अग्नि के सात फेरे लेनेवाले दो प्रेमियों ने पति बनने के बाद छह महीने के भीतर ही अपना राक्षसी रूप दिखा दिया। अपनी पत्नि को घूमने ले जाने के बहाने उन्हे पहाडियों से धकेलकर उन्हे जान से मारने की कोशिश की। हालांकि दोनो पति अपने गंदे मनसूबे में नाकाम रहे। पहली घटना है महाराष्ट्र के पुणे की जहां 20 दिसंबर को पति ने अपने पत्नी को गहरे पानी में धक्का दे दिया। दूसरी घटना है, महाराष्ट्र के महाबलेश्वर की जहां 21 दिसंबर को पति अपनी पत्नि को लेकर पहाडियों के खूबसूरती का नजारा दिखाने ले गया। पति ने अपने राक्षसी रुप दिखाते हुए पत्नी का गला दबाया, जिसके चलते वो बेहोश हो गयी। पत्नी को मरा समझकर उसे उंचाईयों से धक्का दिया। होश आने पर अंधेरे में जंगल और झाडियों से 8 किलोमीटर का रास्ता उस असहाय महिला ने तय किया। रात में गावंवालो से पनाह ली, और अपने माता पिता से संपर्क साधा। पत्नी को धक्का देकर पति तो फरार हो गया लेकिन कानून के लंबे हाथ से बचकर जाता कहां। दोनो बेवफा पति, पत्नियों के शिकायत के बाद सजा काट रहे है। उन्हे कडी से कडी सजा मिलनी चाहिए ताकि इस वाकये को कोई और दोहरा ना सके। प्यार के झांसे में आकर आजतक कई लडकियां बर्बाद हो चुकी है, उसमें से कई एकतरफा प्यार की शिकार हुई हैं। लडकियां, महिलाएं आए दिन पुरूषों के अत्याचार की शिकार बन चुकी है। नाबालिग लडकियों पर बलात्कार के कई मामले सामने आये है, चाहे वो शहर हो या फिर गांव। नारी शहरी हो या ग्रामीण हवस का शिकार बन ही जाती है। महाराष्ट्र के भंडारा जिलें में नयी नवेली दुल्हन को अपने जीवन की पहली रात ससुर के साथ बितानी पडती है, .यह वहां का रिवाज है। कोई भी लडकी इस बात के लिए कतई –तैयार नही होगी। सिक्के का दूसरा पहलू भी है। कई ऐसे परिवार है जिन्होने प्यार का साथ दिया है। कईयों ने प्यार के लिए मौत को भी गले लगा लिया। यह सच है की आए दिन महिलाओं पर हो रहे अत्याचार का ग्राफ बढता ही जा रहा है। अगर पति- पत्नि में अनबन हो या परिवार में खटास हो तो मामले को मिल –बैठकर सुलझाया जा सकता है या फिर ना सुलझे तो अलग होकर अपनी अपनी जिंदगी खुशी से बिताये। किसी को जिंदगी नही दे सकते तो उसे छीनने का भी किसी को कोई अधिकार नही। कहते है प्यार बांटने से बढता है, लेकिन इन सब घटनाओं को देखकर प्यार के नाम से डर लगने लगा है। आज की महिला और पुरूष दोनो सजग है लेकिन कहते है ना की प्यार अंधा होता है, सजगता की आखों पर भी पट्टी बंध जाती है। समाज, और परिवार में कटुता आ ही जाती है। प्यार किया नही जाता, हो जाता है, दिल दिया नही जाता खो जाता है। यह बात सोलह आने सच तो है लेकिन अगर किसी से प्यार हो जाए तो उसे इमानदारी से निभाये। अंतर आत्मा की आवाज सुने। धोखा देना बडा आसान होता है, लेकिन घोखा देनेवाला सबसे बडा भिखारी होता है...प्यार सिर्फ जीवन में एक बार ही होता है। क्योकि कसमें तो उसने भी खायी ही होगी और जीवन भर वो उस प्यार की तलाशने करता रहेगा ......
1 comment:
रविवार के दिन आपके ब्लॉग को मैं जरुर देखता हूँ। आपने बेहद सटीक लिखा है हमेशा ही लिखिएगा। -- सुदीप
Post a Comment