Monday, July 28, 2008

आतंक का काला साया.

धर्म के नाम पर मासूम लोगों को मौत के घाट उतारकर कई परिवारों को उजाडना ये सडे हुए दिमाग की ही उपज होती है।मासूम , निहत्थे लोगों को निशाना बनाकर कौन सी शेखी बघारना चाहते है ये धरती के कलंक ।मां की कोख को भी कलंकित करनेवाले ये लोग किसी राक्षस से कम नही है । क्या मिलता है इन्हे लोगों को निशाना बनाकर। हिम्मत हो तो हमारे देश के जवानों से आकर सीधा मुकाबला करे। कहते है आतंकवाद का कोई धर्म नही, जगह जगह बम लगाकर और पहले से ही आगाह करना.... कितनी घिनौनी हरकत है ये। छोटे छोटे बच्चे बम की चपेट में आ गये, कई बच्चे अनाथ हो गये। और तो और जखमी लोगों की मदत करने पहुँचे लोगों को भी इन दरिंदो ने नही बख्शा। अस्पताल के बाहर भी विस्फोट कर दिया । परिवार का रोना बिलखना देखकर रूहं कांप गयी। उन आतंकवादीयों के लिए ढेरों बददुआएँ मुंह से निकली। क्या कर सकते है आम नगरिक , जहां पुलिस भी अपनी चौकसी में खरी नही उतर पायी। दिल दहल जाता है, इन घटनाओं से हम कहते है, हमारी सरकार, आई बी भी कुछ नही करती, लेकिन ऐसा नही है। सरकार भी सतर्क है और आई बी भी लेकिन फिर भी सुरक्षा में सेंध लगाने में ये राक्षस कामयाब हो ही रहे है। उनके दिलों में हमारे देश के प्रति इतनी नफरत है कि दोस्ती का दिखावा करके ये लोग छुरा घोंप रहे है। इन कायरों को इतना भी पता नही कि ये देश उनके नापाक इरादों से तहस नहस नही होने वाला ........ उन तमाम बेकसूर लोंगों को मेरी श्रध्दांजली जो नापाक इरादों की बली चढ गये है।

1 comment:

Sudeep Gandhi said...

बात इतनी सच्ची है कि क्या बताऊ, मैं इन घटनाओं को बेहद करीब से देखा क्या बताउ वो मंजर आपने बेहद मार्मिक और दिल को छू जानेवाली बोतें लिखी हैं।