Monday, July 14, 2008

उस प्यार को सलाम...

कल नेपाल की वीस वर्षीय निहीता का इंटरव्यूह देखा. निहीता 64 वर्षीय एक शातीर अपराधी चार्ल्स से प्यार करती है। उसे सुनकर ये लग रहा था की वो अल्लहड नही बल्कि काफी मैच्यूर है। अपराधी को प्यार करते करते वो अब उसे डिफेंड भी करने लगी है। निहीता चार्ल्स से शादी करना चाहती है और बकौल निहीता प्यार की कोई उम्र या जाती या धर्म नही होता। चार्ल्स और निहीता में चौवालीस वर्ष का अंतर है। निहीता अपने फैसले पर अटल है, की वो चार्ल्स के साथ गृहस्थी बसाएगी। ना उसे दुनिया की परवाह है नाही चार्ल्स के क्रीमीनल रेकॉर्ड से कोई सरोकार है। उसने कहा की चार्ल्स के जेल से रिहा होने के बाद वो एक नयी शुरुआत करेंगे। निहीता को देखकर ये लगता है की चार्ल्स के प्रति उसका महज आकर्षण नही है, वो उन सभी जज्बातों को जानती है, वो उसी तरह का प्यार करती है जिसे लोंगो को समझने में वक्त लगता है। निहीता अकेली ऐसी लडकी नही होगी जिसने प्यार की अनूभूति को समझा और जीया होगा। प्यार का वो पाक रिश्ता न जाति देखता है ना धर्म ना अमीरी देखता है ना गरीबी तभी तो मुंबई की महाराष्ट्रीयन लडकी आशा पाटील ने पाकिस्तान के लडके के साथ अपनी जिंदगी बिताने के फैसला किया, और वो अपने प्यार के खातीर देश की सीमा भी लांघ गयी। प्यार के उस मजबूत रिश्ते ने दो देशों के बीच दोस्ती का रिश्ता और मजबूत ही किया है। वो कौनसी ताकत होती है जो दुनिया से बगावत करने पर मजबूर कर देती है। एक दुसरे के प्रती आकर्षण नही बल्कि एक दुसरे को पुरी तरह समझने के बाद एक साथ जीने मरने की कसमें ली जाती है।लेकीन कुछ अभागे ऐसे भी होते है जो जाति धर्म और उच नीच की बली चढ जाते है। कई लडकियाँ प्यार करने का खामीयाजा दहेज या प्रताडना का शिकार बनकर चुकाती है। रीत रिवाज या परंपरा अलग हो सकती है, लेकिन इंसान में कैसा फर्क होता है, क्या उनके शरीर से उच नीच होने का भेद खुलता है । न जाने कब बदलेगा यह समाज क्यों नही समझ पाता प्यार के जज्बात। क्यों नही जोड पाता सभी जाति धर्म को प्यार के सूत्र में । लेकिन उस प्यार को सलाम जो प्यार का संदेशा दे रहे है, लेकीन उन्हे अपने प्यार को पाने के लिए जिस तूफान का सामना करना पडता है, उस कष्ट को देखकर समाज से ही कोफ्त होने लगता है। फिर भी प्यार ऐसी संजीवनी है जिसे मिली वो अमर है, और जो नही पा सका वो अभागा। अपने प्यार के लिए मर मिटने वाले उन प्रेमीयों को सलाम... सलाम...सलाम

3 comments:

Anonymous said...

आपने बेहद सही और सटीक बातें लिखी है शायद ही कोई इस गंभीरता को समझ पाये। लिखते रहिए अच्छा लिख रही हैं।

Anonymous said...

आपने बेहद सही और सटीक बातें लिखी है शायद ही कोई इस गंभीरता को समझ पाये। लिखते रहिए अच्छा लिख रही हैं।

Dilki chahat said...

ये बातें दिल की है दिल वाले ही समझ सकते हैं। आपकी बाते सुनकर तो मुझे बल मिला है।--- नेहा