Friday, July 11, 2008

विस्फोट के दो साल

11 जुलाई 2006 मुंबई में दो साल पहले इसी दिन ही धमाके हुए ये तारीख लोगों के जहन में पत्थर की लकीर बनकर रह गयी है। मुझे याद है मैं उस दिन ऑफिस में ही थी। खबरों की दुनिया में काम करने की वजह से एक सहकर्मी के भाई ने रेल में हुए पहले धमाके की जानकारी दी और बस फिर क्या टेलीवीजन पर धडाधड बम विस्फोट की खबरे. पत्रकारों की घटनास्थल पर पहूचने के लिए भदगड मची। शाम के वक्त अपने घर पहूंचने के लिए निकले लगभग 200 लोग मौत की नींद सो गये, और सैकडों घायल हुए। घटनास्थल पर का नजारा देखकर तो दिल खून के आँसू रोने लगा। कईयों ने वो खौफनाक नजारा देखा भी होगा, कईयों ने प्रशासन की मदत पहूंचने से पहले ईन्सानियत की मिसाल भी दी। उस घटना को आज दो साल हो गये लेकिन पीडितों के दुखो का कोई अंत नही हुआ। जिन्होने अपने परिजनों को खोया है उनके दर्द को कोई चाहकर भी कम नही कर सकता। मुआवजे की लीपापोती करने में भी रेल प्रशासन के साथ साथ राज्यसरकार भी नाकाम ही रही है। शर्मनाक बात तो यह है की रेल प्रशासन ने पीडीतों से ब्याज की रकम वापस मांगने के लिए लोगों को नोटीस तक दे दी है। मुंबई के जज्बे के लोग सलाम करते है की मुंबईकर डरता नही है, बडी सी बडी घटना हो मुंबईकरों की जिंदगी दुसरे दिन ही पटरी पर लौट आती है। असल में मुंबईकर के पास अभी अपनी जींदगी हथेली पर लेकर चलने के सीवा दुसरा कोई चारा नही है। अपनी जिंदगी को जोखिम में नही डालेगा तो मुंबईकर दो जून की रोटी के लिए भी दुसरो का मोहताज होना पडेगा। मुंबईकर अभी यूज टू हो गया है ऐसी घटनाओं से। बस दुख इस बात का है की बेकसुर लोगों की बली जा रही है, और इस सब के लिए जिम्मेदार लोग खुलेआम घुम रहे है। मृत हुए लोगों को श्रध्दांजली देने का फंडा अब कई पार्टीयों ने निकाला है। क्या उनकी जिम्मेदारी बस इतनी ही है। दो साल गुजरने के वाबजूद भी रेल प्रशासन अभीभी लोगों को सुरक्षा मुहैय्या कराने में नाकामयाब है। आतंकवादी पकडना तो दुर लेकिन रेल में बढते अपराध को कम भी नही कर पा रहे है। महिलाए कल भी असुरक्षित थी और आज भी है। लोग अपने आप को आपस मे धर्म , जाति के नाम पर भले ही अलग कर ले लेकिन मुंबई चलती ही रहेगी। उन तमाम बेकसूर लोगों को मेरी श्रध्दांजली जो आतंकवादीयों के नापाक इरादे के शिकार हो चुके है।

1 comment:

Anonymous said...

मैं ने देखा, आपके विचारों को समझा भी, बेहद गहरी और दिल को छू जाने वाली बातें हैं। लिखते रहिए.. BOBBY