Thursday, April 8, 2010

अंधविश्वास में जलते बच्चे.....

पिछले एक महीने से खबरों में मैं बराबर देख रही हूँ कि बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड किया जा रहा है। ये लगातार देखती आ रही हूं कि दूधमुहे बच्चो को मंदिर की चोटी से नीचे फेंका जाता है, और नीचे कुछ लोग चादर पकड कर उन्हे लपकने के लिए खडे रहते है। महाराष्ट्र के सांगली जिले में चैत्र महीने में देवी देवताओं की यात्रा होती है। जिन्होंने बच्चो के लिए मन्नत मांगी होती है वो अपनी मन्नत पूरी करने के लिए बच्चो की जान से खेलते नजर आते है। शायद यह सिलसिला एक महीने भर तक सीमित नही बल्कि कई वर्षों से चला आ रहा होगा। बच्चों की जान से खिलवाड करना महाराष्ट्र ही नही बल्कि अन्य राज्यों में भी होता है। महाराष्ट्र के सांगली और परभणी के नन्हे बच्चों को पचास से साठ फीट नीचे फेंका जाता है। दूसरा एक वाकया देखा जिसमें बच्चों को एक पालने जैसे लकडी के बक्से में बिठाकर पानी में डूबो कर बाहर निकाला जाता है। उपर से उंचाई से यह बक्सा नीचे रस्सी से बांधकर छोडा जाता है। अगर किसी के हाथ से रस्सी छूट गयी या बैलेन्स खो गया तो समझ लें कि बच्चा पानी में डूबेगा जरूर। रोते बिलखते बच्चों को देखकर उनके मां बाप को जरा भी उनपर दया नही आती। रोते रोते अगर दम घूट गया या फिर उपर से नीचे गिराते वक्त कुछ हादसा हो गया तो। गिरते वक्त बच्चे का हाथ पैर टूट गए तो लेने के देने पड सकते है। रोते बिलखते मासूमों को देखकर सामाज में बढ रही अंधविश्वास बेहद क्रोध होता है। भगवान के प्रति श्रद्धा रखना या उनमें आस्था होना कोई गलत बात नही लेकिन अंधविश्वास में बहकर कोई गलत काम करके या किसी को तकलीफ पहुँचाने पर भगवान तो कोई आशीर्वाद देने से रहे। भगवान भक्ति का भूखा होता है, उन्हे इस तरह के कर्म कांड करके प्रसन्न नही किया जा सकता। दूसरा समाज को कलंकित करनेवाला वाकया था, महाराष्ट्र के परभणी जिले में पाच बच्चों की अचानक मौत। किसीको कुछ भी पता नही चल पाया कि इस तरह बच्चो की मौत कैसे हो गयी। गांववालों को भूत प्रेत की आशंका थी। लेकिन बच्चों को दफनाने के बाद प्रशासन ने लाशों का पोस्टमार्टम कर मौत की वजह का पता लगाने की ठान ली। हर कोई वहां जाने से डरने लगा पुलिस भी वहां गश्त के दौरान पे़ड के नीचे बैठने या सोने से डरने लगी। लाश को फिर खोदकर निकाला गया और उन्हे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। दो बच्चो के रिपोर्ट के जरिए कुछ पता नही चल पाया लेकिन अन्य तीन बच्चों की रिपोर्ट से यह पता चला कि उन्हे जहर देकर मार डाला गया था। जहर देनेवाले की उन बच्चों के परिजनों से कोई दुश्मनी नही थी बल्कि जिन्होने जहर दिया उन्हे संतान नही थी, और संतान पाने के लिए उन्होने नरबली का प्रयोग किया। बच्चों की बली चढाने से संतान की प्राप्ती होती है इस अंधविश्वास में पाच बच्चे एक ही दिन मारे गये शायद अनगिनत बच्चे ऐसे षडयंत्र का शिकार होते चले आ रहे है। तांत्रिक और मांत्रिक से धनलाभ, संतान प्राप्ती होना नामुकिन बात है। आज मेडिकल साइन्स ने इतनी तरक्की कर ली है कि टेस्ट ट्यूब बेबी का विकल्प आप चुन सकते है। महाराष्ट्र में नही बल्कि पूरे भारत में अंधश्रध्दा ने अपनी जडे फैलाई है, और उसके शिकार बन रहे है, अनगिनत मासुम अंधविश्वास जीवन को नरक बना देती है। कई इसके चलते जेल की हवा भी खा रहे है। सच्ची श्रध्दा के साथ साथ मेहनत. लगन और हौसला हो तो रास्ते में कोई भी मुश्किल आए उसे पार कर आप जरूर सफल होगें। अंधश्रध्दा को खत्म करने के लिए आप भी अपने आस पास हो रहे अन्याय को रोकने में जरूर मदत करे.........

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