Friday, August 29, 2008

मेंहदी- परंपरा से व्यवसाय तक

गणपति बाप्पा बस कुछ ही घंटों में अपने भक्तों से मिलने आरहे है, और भक्त भी बाप्पा के आगमन को लेकर काफी उत्साहित है। बाजार रंगबिरंगी सजावट की चीजों से खचाखच भरे पडे है। चारों और जगमगाती रोशनी मानों शरीर में उर्जा पैदा कर देती है। महज दस दिनो के इस त्योहार के लिए करोडो रूपयों के वारे न्यारे हो जाते है। बाप्पा के आगमन की तैयारियाँ जोरो शोरो से शुरू है, तो हमारा भी मन किया बाजार में घूमने का । मुंबई का दादर इलाका एक ऐसा बाजार है जहां कोई भी चीज वाजिब दाम में मिल जाती है। बाजार रंगबिरंगी सामान से भरे पडे है। घूमते घूमते अचानक मन में आया की आज हाथों में मेंहदी रचाई जाए । ढूंढते ढूंढते हम पहूंचे मेंहदी लगवानेवाले के पास , वो कह रहा था मुंबई में उनकी एक मात्र दुकान है मेंहदी लगाने की। तो लाजमी है की मेहनताना भी ज्यादा होगा। त्योहांरो के दिनो पर भरपूर कमाई कर रहे है। चार हप्ते सडक पर बैठकर मेंहदी लगानेवालों ने अभी मॉल में किराये की दुकान ली है। ऑफ सीजन में भारतीय पध्दती की मेंहदी रचवाने के लिए खूब पैसे देने पडते है दो हाथ के दो सौ रूपये, और अगर सस्ता चाहिए तो अरेबीक पध्दती की मेंहदी लगवाएं। नोएडा में हमें चप्पे चप्पे पर मेंहदी लगवाने मिल जाते थे और वो भी मामूली कीमत में। मुंबई में कामकाजी महिलाओं को मेंहदी लगवाने का शौक तो होता है लेकिन बैठकर घंटो मेंहदी रचाने के लिए वक्त नही होता। ब्युटी पार्लर में मेंहदी का खर्च बहुत ही ज्यादा होने की वजह से इस शौक को आम महिलाएं अपने दिल में ही दबा लेती है। मेरे खयाल से मेंहदी रचाने की कला जो भी महिला या लडकिया जानती हो उन्हे इस शौक को व्यवसाय के तौर पर अपनाना चाहिए । आम महिलाओं को सस्ती और खुबसुरत मेंहदी लगवायी जाए तो वो हमेशा ही अपने हाथों में मेंहदी रचाएंगी। आम महिला या लडकीयां अपने शौक पर खर्च करने से पहले दस बार सोचती है। गली और मुहल्लों में भी यह व्यवसाय अच्छी तरह से फल-फूल सकता है। मेंहदी रचाने का हूनर जानने वाली घरेलू महिलाएं भी आमदनी कर सकती है। इस व्यवसाय के जरिए रोजगार की तलाश करने वाली लडकियों को एक रोजगार का अच्छा साधन मिल सकता है, और दाम बाजीब होने से महिलाएं भी किसी त्योहार के इंतजार में नही रहेंगी। वाजीब दाम से आमदनी तो होगी ही साथ ही घरेलू महिलाओं के साथ साथ कामकाजी महिलाओं का शौक भी पूरा हो सकता है।

1 comment:

Sudeep Gandhi said...

बात बेहद सच्ची और सटीक है हर कोई इस बात को समझे तो कोई भी महिला अबला नहीं कही जाएगी--- सुदीप