Wednesday, August 13, 2008

आम इंसान का चक्काजाम

अमरनाथ जमीन वापस लेने के मुद्दे पर विश्व हिंदु परिषद के कार्यकर्ताओं ने देशभर चक्काजाम किया। चक्काजाम करने का ऐलान एक दिन पहलेही कर दिया था। समय चुना सुबह नौ बजे से लेकर ग्यारह बजे का यानी पीक अवर्स का। सुबह के वक्त स्कुल, कॉलेज , ऑफिस जानेवाले या काम के लिए घरसे निकलने वालों को इसका खामियाजा भुगतना पडा। आम जनता सॉफ्ट टार्गेट बनती जा रही है। किसी भी चिज का विरोध करना हो तो बस आम जनता को ही हाशिये पर चढाया जाता है। नापसंद बातों का विरोध होना जायज है, लेकीन आम जनता को परेशान करना, पब्लीक ट्रान्सपोर्ट का नुकसान करना , गाडीयों को जलाना, रेल्वे पटरी उखाडना इन सब बातों से किस तरह का दबाब निर्माण करना चाहते है। मांग करना या नापसंद बातों का विरोध होना चाहिए लेकीन इस तरह के विरोध से नही । आम आदमी को ही हमेशा भुगतना पडता है, अंबाला में एक व्यक्ती को इलाज के अभाव में अपनी जान गवानी पडी। धर्म के लिए आस्था होना गलत बात नही लेकीन धर्म के नाम पर तबाही मचाना शर्मनाक बात है। विरोध का तरीका सही हो तो इस विरोध में आम आदमी भी जुड सकता है। बहोत तकलीफ होती है जब सार्वजनिक संपत्ती और जान माल का नुकसान होता है। इस नुकसान भरपाई की किमत भी आम इंसान के जेब से ही वसुली जाती है। परेशानी होती है सो अलग। राष्ट्रपिता महात्मा गांघी ने सत्याग्रह करके गोरों की हूकूमत को रौंधनेमें कामयाबी पायी थी, लेकीन हमारे देशवासीही अपने देशवायीयों का जीना मुश्कील कर रहे है, फिर चाहे वो किसी भी धर्म या जाती के ही क्यों न हो। हरबार आम इंसान को निशाना बनाकर सरकार को घेरने का इस तरह का प्रयास कामयाब होगें ?.

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