Wednesday, August 6, 2008

मित्रता दिवस की धूम

अगस्त महीने का पहला रविवार यानी फ्रेन्डशिप डे। हालिया कुछ सालो में मित्रता दिवस मनाने का ट्रेंड भारत में भी आया है। कई लोग इसे रविवार को मनाते है, तो स्कूल और कॉलेज में सोमवार को। फ्रेन्डशिप डे का आगाज हालिया कुछ दिनो में एक हप्ते पहले ही जान पडता है। रंगबिरंगी फ्रेन्डशिप रिबन और गिफ्ट सजाकर दुकानदार मोटी कमाई भी कर लेते है। कई लोगों का फ्रेन्डशिप डे को विरोध है, लेकिन मेरा नही। विरोध करने से पहले उसके पीछे के तथ्य , भावना को समझना बेहद जरूरी है। मित्रता दिवस सिर्फ युवाओं का नही बल्की पारिवारिक भी है। मां-बेटा, पिता-पुत्री, भाई-बहन सब एक दुसरे के मित्र है। रविवार को सुबह सुबह मेरे सारे मित्रों ने मुझे मित्रता दिवस का संदेशा भेजा, मैने भी जगते ही सबको तुरंत रिप्लाई भी कर दिया। मां ने भी मुझे बधाई देते हुए कहा , मै भी तुझे फ्रेन्डशिप बैंन्ड बांधूंगी। आखीरकार मां मेरी सबसे पहले और अच्छी दोस्त है। कॉलेज में हम भी एक दूसरे को रंबगिरंगी रिबन बांधकर अपनी मित्रता दिवस की बधाईयां देते थे। कॉलेज के दिन हसते खेलते बीत गये लेकीन अब स्पर्धा के इस दौर में मित्रों की खरी परिक्षा होती है। रविवार का पूरा दिन मैसेज संदेशा लिखने और पढने में बीत गया । फिर भी आंखे प्यारे से मित्र के संदेशा की बाट जोह रही थी। एक ऐसा मित्र जो रोजाना गप शप नही करता , मिलता भी नही, लेकिन जब भी मन उदास हो वो हमेशा बाते करके मन हल्का कर देता है। करियर की शुरूआत में उसने मेरी काफी हौसला अफजाई कीहै, हिम्मत बंधाई है। एक तरह से मुझे तैयार करने में उसकी अहम भूमिका है। सिर्फ अच्छी अच्छी बातें नही बल्कि वास्तविकता का एहसास दिलाया है। हम एक दूसरे से झगडते भी है, बहस भी करते है। उस मित्र ने आखीर में रात को फोन किया तो मै तुरंत उसपर बरस पडी और कहा कि सारे लोगो के मैसेज आया बस तुम्हारा ही मैसेज नही आया। उसने कहा दोस्त हमारी दोस्ती सिर्फ एक दिन के लिए नही है। मै रोज भगवान से प्रार्थना करता हूं की मेरे दोस्त को हमेशा खुश रखना, और सात जन्मो तक मुझे यही दोस्त देना। इस बात को सुनकर मेरी आंख भर आयी, गुस्सा तो उडन छू होना ही था। सचमुच मै काफी भाग्यवान हूं की मित्रों की ढेर में मेरे पास एक तो सच्चा मित्र है। कहते है खुशी में तो सब आपका साथ देते है, लेकीन गम बाटने के लिए एक तो सच्चा मित्र आपके पास होना चाहिए, और वो मेरे पास है........

2 comments:

Anonymous said...

'गम बाटने के लिए एक तो सच्चा मित्र आपके पास होना चाहिए, और वो मेरे पास है'
आप सच में भाग्यशाली हैं।

Anonymous said...

Friendship day ke mere choti si soch aapke samne rakh raha hoon
aaj ke samaj mein sabki aapni aapni rai hota hai aur aapni aapni soch.lekin samaj mein kuch log aise bhi hai jo log apni soch ko sirf apni bhalai tak na simit rakh kar samaj ka achche mein apna bhi yogdhan karte hai.main un mein hoon jo virodh karte hai mere virodh friendship day ke liye nahi hai lekin friendship day ka naam se jo galat cheeje chal rahi hai samaj mein unko lekar hai .ribban bandhkar apna mithru banane wale ka mitruta bhi ribban ki utni hi lambi dekhe hai humnene abh yeh aap bhi achche se jante hai ribban ka kitni aayu hai aur mera soch yeh hai jo apna desh apni sanskar ka na raha woh paraya sanskar ka kya aur kab tak rahega.mere liye mere sanskar ne itna diya hai mujhe paraya sanskar ki jaroorat kabhi mehsus si nahi huva