Wednesday, April 6, 2011

कब होंगे भारतरत्न सचिन तेन्दुलकर

“हम जीत गए” इस शब्द को सुनने के लिए करोडों भारतीयों के कान तरस रहे थे। सालों से ये सपना भर बन कर रह गया था। पूरे देश ने और सचिन ने अट्ठाईस साल से जो सपना देखा था वो शनिवार 2 अप्रैल 2011 में आखिरकार पूरा हो ही गया। इस बात पर अभी तक यकीन नहीं हो रहा है। टीम इंडिया विश्व विजेता होने के साथ साथ नंबर वन हो गयी है। अभी भी उस जीत के लम्हे को याद करके रोंगटे खडे हो जाते है। देशभर के लोगो की सांसे मानो थम सी गयी थी। फिल्ड पर देखते देखते भारत का हर खिलाडी भावुक हो गया। कहीं आखों से आँसू निकल रहे थे को कहीं खुशी से धरती को चूमते नजर आ रहे थे खिलाडी। स्टेडियम में भी हालात कुछ ऐसे ही थे। लोग आँखों में खुशी के साथ नमी लेकर एक दूसरे को बधाई दे रहे थे। अंग्रेजी शासन के शुरुआत हुई इस खेल में सर्वेसर्वा बनने का मौका जो था। कहीं प्रार्थना की जा रही थी, तो कहीं पर नमाज अदा की जा रही थी तो कहीं पर अरदास लगाये जा रहे थे। विजय के उस लम्हे का वो मंजर कभी भुलाया नही जा सकता। पूरे देश ने जीत का जश्न मनाया। लोगों ने सडको पर उतरकर तिरंगा लहराया और जीत की खुशियां मनायी। जीत के जश्न मे ना कोई आम था और ना ही कोई खास सभी खुशी के मारे फुले नही समा रहे थे। क्या बच्चे, क्या बुढे और क्या महिला। रात भर सिर्फ चहल पहल, धोनी और टीम इंडिया का शुक्रिया अदा करती युवापीढी नजर आ रही थी। लेकिन सभी देशवासियों का एक सपना अभी भी अधूरा है, और वो है सचिन तेंन्दुलकर को भारतरत्न देकर सम्मानित करने का। सचिन के रचे इतिहास के बारे में सारा देश ही नही बल्कि सारी दुनिया वाकिफ है और सभी की तमन्ना है कि अब सचिन को भारतरत्न से नवाजा जाए। टीम इंडिया के सारे खिलाडियों ने सचिन का वर्ल्ड कप जीतने का सपना पूरा किया और अब वे चाहते है की सचिन को भारतरत्न अवार्ड से नवाजा जाए। महाराष्ट्र सरकार ने भी केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि सचिन को भारतरत्न से सम्मानित करें। भारत की जीत इतिहास के पन्नों में सुवर्ण अक्षरों से लिखी जाएगी और इस जीत के सभी भारतवासी गवाह है,और अब सचिन को भारतरत्न से नवाजे जाने के गवाह बनना चाहते है। सचिन को अनगिनत सम्मान मिल चुके है, शोहरत, के साथ वे अपना सामाजिक दायित्व भी निभा रहे है। भारत के इस सपूत पर देश ही नही बल्कि पूरी दुनिया को नाज है और उन्हे भारतरत्न से सम्मानित होते हुए देखना हर भारतीय का एक सपना है। सच्चे सपूतों को दिए जाने वाले सम्मान में मिलने वाले भारत रत्न सचिन को दिए जाने गवाह बनना चाहती है करोडों आँखे। एक सपना उगा दो नयनों में , कभी आँसुओं से धुला और बादल हुआ! धूप में छाँव बनकर अचानक मिला, था अकेला मगर अब बन गया काफ़िला। इस काफिले का हिस्सा हम बनना चाहते हैं। --

Friday, March 11, 2011

आश्रम के नाम पर देह व्यापार

सामाजिक संस्था या आश्रम चाहे कोई भी हो हम आंख मुंदकर उस पर विश्वास कर लेते है, हमारी यही धारणा होती है कि समाज के लिए कुछ अच्छा ही हो रहा है। समाज के लिए कुछ अच्छा करनेवाली संस्था या आश्रम के बारे में हमारे मन में तनीक भी अविश्वास नही जगता। लेकिन आश्रम के नाम को कलंकित किया है नवी मुंबई स्थित पनवेल के एक महिलाओं के लिए बनाई गये आश्रम ने। कल्याणी बाल एवमं महिला आश्रम में । इस आश्रम में समाज के सामने मानसिक विकलांग लडकियों का पालनपोषण करने का दिखावा किया जा रहा था। समाज सेवा के नाम पर देह व्यापार का धंदा हो रहा था। मानसिक विकलांग लडकियों का शारीरीक शोषण किया जा रहा था। पांच लडकियों के शारीरीक शोषण की पुष्टी हो चुकी है और उसी आश्रम मे इससे पहले सात लडकियों की मौत भी हो चुकी है। मानसिक विकलांग लडकियों का शारीरीक शोषण किया जा रहा था और वे ना तो कुछ समझ पा रही थी ना ही विरोध कर पा रही थी। चॉकलेट का लालच देकर कॉलेज के लडके उन्हे गेस्ट हाउस या होटलों मे ले जाते थे, या फिर आश्रम में आकर लडकियों के साथ कुकर्म किया जाता था। आश्रम के आड में देहव्यापार का धंदा करनेवाले पांच लोगो को पुलिस ने हिरासत मे तो ले लिया है लेकिन उन मासुम बच्चीयों का क्या जिन्हे हवस का शिकार बनाया गया। उनके समझ से तो सब कुछ परे था, जबरदस्ती करके उनके शरीर को नोचा गया। अनाथ बच्चों के नाम पर सरकारी या फिर लोगों की मदत लेकर आश्रम चलाये जाते है लेकिन ऐसे कई मामले उजागर हुए है जहां पालनपोषण के नाम पर मासुम बच्चों को हवस का शिकार बनाया जा रहा है। हवस हावी हो रही है और मासुम बच्चे चाहे वो लडका हो या लडकी किसी को बक्शा नही जा रहा है। किसी भी नयी संस्था या फिर आश्रम से जुडने से पहले उसकी खोजबीन करनी जरूरी है। उसकी विश्वसनियता जानना जरूरी है क्योंकी सचमुच लोगों के उत्थान के लिए काम करनेवाले सामाजिक संगठन या आश्रम के साख पर बट्टा लगने की नौबत आ रही है। महज पैसो के लिए सामाजिक संगठन या आश्रम का निर्माण कुकुरमुत्तो जैसी फैलती जा रही है और सरकार और लोगों से पैसे बटोर रही है। लोगों को पहल करना अब जरूरी हो गया है, साथ आईये और समाज के इस तरह के काले धब्बे को साफ करने में सहायता किजीए। अपने आस पास हो रहे कुकर्म की जानकारी पुलिस को जरूर दिजीए।

Monday, January 31, 2011

तेलमाफिया का आतंक

तेल माफियाओंने मनमाड जिले के एडिशनल कलेक्टर यशवंत सोनवणे को दिनदहाडे सरेआम मिट्टी का तेल डालकर जिंदा जला दिया । गणतंत्र की पुर्वसंध्या पर महाराष्ट्र की साख को कलंकीत करनेवाली यह घटना के दृश्य देखकर रूंह कापं उठी थी। पुरे देशभर में इस घटना की निंदा की गयी। और दोषियों को कडी से कडी सजा दिलवाने की मांग की गयी। एक सरकारी अधिकारी की इस तरह निर्दयतापूर्ण हत्या होना राज्यसरकार के लिए भी एक चुनौती थी, तो पुलीस ने तत्परता दिखाते हूए इस मामले से जुडे सारे आरोपियों को पकडने मे कामयाबी तो पा ली है लेकिन मुख्य आरोपी ने अस्पताल में दम तोड दिया है और बडी मछलियां हाथ आना अभी बाकी है। घटना के तिसरे दिन बाद पुरे महाराष्ट्र में तेलमाफियाओं के अड्डो पर छापेमारी की गयी। लगभग 200 ठिकानों पर छापे मारकर 180 लोगों को हिरासत में लिया गया। एक पल तो ऐसा लगा मानो की खाद्य आपूर्ती विभाग के पास तेलमाफियाओं के सारे डिटेल्स हो, उनके नाम, पता, ठिकाना सबके बारे में पहले से ही खबर हो। तभी तो इतनी बडी तादाद में छापेमारी की गयी। तेल में मिलावट का ये काला खेल बिना किसी गॉडफादर के मुमकिन ही नही। हर तेल माफियाओं के सरपर किसी पुलिस अधिकारी या राजनेता का हाथ तो है ही साथ ही हिस्सेदारी भी। तभी तो एक वडा-पाव बेचनेवाला पोपट शिंदे आज तेल माफिया बन चुका था, न उसे कानून का था ना ही समाज का। उसके बेटोंकी भी हिम्मत इतनी बढ गयी है की उन्होने यशवंत सोनवणे के सरपर लोहे का सरिया दे मारा और वे निचे गिरने के बाद उनपर मिट्टी का तेल छिडक दिया । कोई बिच- बचाव करता इससे पहले ही उन्हे आग की लपेटों ने निल लिया। अब आरोपी बे सिरपैर की बाते कर रहे है। मुख्य आरोपी का बेटा कह रहा है कि यशवंत सोनवणे ने उसके पिता से रिश्वत मांगी थी और जिस दिन इस घटना को अंजाम दिया गया उस दिन आरोपी के बिवी की दशक्रिया विधी थी। सोनवणे उन्हे दो घटें तक लगातार फोन कर रहे थे और ढाबे पर उसके इंतजार में थे। तेलमाफिया अपने कालीकरतूचों को छपपाने के लिए अफसर के दामन पर उसके मृत्यू के बाद भी कलंक लगाया जा रहा है। महाराष्ट्र के बीड जिले में भी एक एडिशनल कलेक्टर को एक विधायक ने ही जान से मारने की धमकी। विधायक चाहता था की उसके अवैध काम कलेक्टर साहब वैध करा दे। वहीं खुद गृहमंत्री के सांगली जिले में रेतमाफियाओं ने पटवारी को ट्रक से कुचलकर मारने की कोशीश की। रेतमाफिया, तेलमाफिया और कालाबाजारीयों के गोरखधंदो से आम आदमी तो नही बल्कि पुलिस और राजनेता बखुबी वाकिफ है लेकिन सिर्फ एक दुसरे पर आरोप लगाकर अपने दागदार दामन को छुपाने कि कोशिश कि जा रही है। तेलमाफियांओ कि हिम्मत बढने कि मुख्य वजह है उनसे मिलनेवाला पैसा,और हिस्सेदारी की वजह से उनके गुनाहों को छुपाया जा रहा है। उनकी तडीपारी भी खत्म करवाई जाती है। पुलिस को कारवाई करने से रोका जाता है। सामाजिक कार्यकर्ताओं पर हमले बढने लगे है। आखिर सवाल कौन पुछेगा। तेल के काले खेल को कौन रोकेगा। सरकार ने तो आनन फानन में छापेमारी करके कारवाई करने का दिखावा कर दिया लेकिन मुख्य सुत्रधार अभिभी गिरफ्त से बाहर है। कानून में दिये गये प्रावधान को अगर अमल में लाया जाए तो कानून से बडे होने की हिम्मत कोई नही कर पायेगा। इमानदार अफसरों के बलिदान को अगर न्याय देना होगा तो महज परिजनों को मुआवजा देकर या उनकी सांत्वना करके जिम्मेदारी खत्म नही होगी । तेलमाफिया, रेत माफिया और मिलावटखोरों को जड से उखाड फेकना होगा, और इसकी जिम्मेदारी अब सरकार की ही है।

Monday, January 10, 2011

प्रेमियों का नया ठिकाना

प्यार करने वाले हर वक्त कुछ नए तरीके ढूँढने की फिराक में रहते हैं। बात मुंबई की हो तो कुछ ऐसा सामने आता है निश्चय ही देश के बाकी हिस्सों से अलग रहता है। एक ऐसा ही तथ्य सामने आ रहा है, प्रेमी युगलों ने प्यार करने के लिए एक नया अड्डा खोज निकाला है, जहां पर ना तो पैसा खर्चा होता है और ना कहीं दूर जाने की जरूरत। आजकल जहां देखो वहां हर रेलवे स्टेशन के बाहर स्कॉय वॉक का निर्माण हो रहा है। जहां जरूरत है वहां की तो बात समझ में आती लेकिन जहां जरूरत नही है वहां भी फिजूल में पैसे पानी की तरह बहा कर स्कॉय वॉक का निर्माण हो रहा है। संकरी गलियों के बीच से होकर गुजरता स्कॉय वॉक यांत्रियों की परेशानी का सबब बनते जा रहा है। आमतौर पर हायवे पर दौडती गाडीयों की रफ्तार के बीच रास्ता तय करना नामुमकिन होता जा रहा है, जिसके लिए स्कॉय वॉक का निर्माण होना जरूरी था। लेकिन एम.एम.आर.डी.ए ने सारे मुंबई में स्कॉय वॉक का जाल फैला दिया है।
प्रेमी युगलों का इसलिए जिक्र किया क्यों की ऐसे बहुत से स्कॉय वॉक है जिन्हे उपयोग में नही लाया जा रहा है। महज कॉलेज के छात्रों के लिए वहां घंटो समय बिताने का ठिकान भर बन गया है। वरिष्ठ नागरिक इसका इस्तेमाल ना के बराबर ही करते है। कुछ चंद लोग इस्तेमाल करते भी है तो उसका नजारा कुछ भूल भूलैया और रंगबिरंगा हो गया है। जगह जगह पान, और गुटखा की पिचकारियों से सना हुआ स्कॉय वॉक देखकर पैसे की बर्बादी और उसकी निष्क्रियता साफ दिखायी देती है। हम भी मानते हैं कि विकास होना जरूरी है लेकिन विकास के नाम पर ठेकेदारी को बढाना समाज सहित देश के लिए हानिकारक है। आखिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने भी यह माना की मुंबई को बिल्डर और ठेकेदार निगल रहे है। जब जगो तभी सबेरा अब से भी थोडा सचेत हो जाए तो शहर संभल जाएगा।

Friday, January 7, 2011

शुभकामनाएं........

सबसे पहले तो सभी को नये साल की शुभकामनाएं। उम्मीद है नया साल घोटालों और भ्रष्टाचार से मुक्त हो। 2010 भ्रष्टाचार, अपराध और मंहगाई से भरपूर था, साथ ही राजनितिक उथल पुथल भी काफी रही। खैर भ्रष्टाचार की बातें करना शुरू करें तो सैकडों पेज भी कम पड जाएंगे लेकीन बातों पर पूर्णविराम नही लग पाएगा। नये साल का आगमन तो हो गया है लेकीन ऐसा लगता है की साल की शुरूवात किसी बडे त्योहार से हुई है, मानो जैसे दिवाली हो । खासकर के जब सब्जियां खरीदने निकलती हूं तो यह भावना अक्सर आती है। आमतौर पर हम त्योहारों के वक्त खरीदारी के लिए थोडासा हाथ खुला छोड देते है। 60 रूपये किलो प्याज, 40 रूपये किलो टमाटर, 300 रूपये किलो लहसून खरीदते वक्त लगता है की मै किसी शाही परिवार से हूं। छौकं में लगनेवाली मंहगी चिजे खाकर राजभोग का आनंद तो आता है, लेकीन गडबडाया किचन बजट जेब हल्की ही नही बल्की काट ही दे रहा है। आमदनी अठ्ठनी और खर्चा रूपय्या। हर आम आदमी का यही हाल है। अपना हाल किसे बताये सभी एक ही कश्ती में सवार है। कश्ती डूबे तो बचानेवाला भी कोई नही। केंद्रीय कृषी मंत्रीजी ने कहा की तीन सप्ताह में प्याज की किमते कम होने के आसार है और पाकिस्तान से प्याज की आयात की जा रही है जिसके चलते प्याज की बढती किमतों को रोका जा सकता है। लेकीन देशमें ही जमाखोरों ने प्याज को गोदामों में भरकर अपनी जेबे भर ली है। आयकर विभाग ने भी आनन फानन में छापा मारकर जमाखोरों पर नकल कसने की कोशिश की है। लेकीन वहीं ढाक के तीन पात। पाकिस्तान से आया प्याज सडा होने के बावजूद लोग उसे खरीदने पर मजबूर है क्योंकि वह सस्ते दाम पर मिल रहा है। प्याज कि नयी फसल आने को है, तब तक प्याज रूलाता ही रहेगा। सब्जी खाना अब आम आदमी के बस में नही रहा है। कुछ दिन में ये स्टेटस की बात बने तो कोई अचरच नही होगा। आनेवाले कुछ दिनों मे अब सिलेंडर के दाम भी 40 रूपये बढने के आसार है। दुध के दाम फैसला होने से एक सप्ताह पहले ही बढा दिये गए है। सभी चिजों के दाम अगर बढ रहे हो तो पिसाई के दाम क्यों कम रहे। पिसाई करने के दाम भी बढ गए है। मुझे तो लगता है की हम आम लोगों को नये साल की कुछ इस तरह शुभ कामना देनी होंगी की भगवान करे आपके इलाके में प्याज, लहसून और टमाटर के दाम कम हो। आपको पांच किलो चिनी की लॉटरी लगे। सिलेंडर की कभी कमी ना हो।

Sunday, December 26, 2010

लाईटस्...कैमरा..एक्शन

लाईटस्... कैमरा.. एक्शन.... ये अलफाज सुनने के बाद यकीनन हमें महसूस होता है कि कहीं पर शुटींग चल रही है। ये अलफाज मैने भी सुने। शुटिंग देखने के लिए समय तो नही था लेकिन देखा वो भी अपने काम करते हुए, दरअसल बात ये हुई कि हमारे ऑफिस में ही दो दिन से शुटींग चल रही थी। एक फिल्म है जिसका नाम तो तय नही है, लेकिन थीम थायद न्यूज चैनल पर आधारित थी। दो शॉट देने के लिए तकरीबन 3 घंटे का समय लगा। दो शॉट में सिर्फ दो लाईन का डायलॉग था। ऐसा नही था कि कलाकार ठीक से शॉट नही दे रहे थे लेकिन शुटींग में लगने वाला साजो सामान सजाने और उठाने में ही सारा समय निकल जाता था। बडी बडी लाईटस, ट्रॉली, कैमेरे, परदे और अनगिनत चीजें। फिल्म देखते वक्त हम सिर्फ डायलॉग, लोकेशन और हीरो, हीरोईन को देखते है, लेकिन उसके पीछे की जी तोड मेहनत के बारे में हम सोचते भी नही। भरपूर मेहनत और संयम से भरे इस मेहनत मजदूरी भरे काम को ना तो उचित मेहनताना मिलता है और ना ही कोई पहचान ही। इस व्यवसाय में होने वाले घंटो घंटो कमरतोड मेहनत का अनुमान दो दिन में ही हो गया। चकाचौधं की दुनिया में होने के बावजूद वे चकाचौंध से कोसो दूर हें। कहीं पर उनके काम को सराहा जाता है तो कहीं रौशनी दिखाने वाले लोगों की जिंदगी को गुमनामी के अंधेरे निकल जोते हैं। जितना समझ में आया उससे यही लगता है लाईटस्.. कैमरा... एक्शन भले ही युवापीढी को अपनी तरफ आकर्षित करती हो लेकिन उसमें लगनेवाली कमरतोड मेहनत से सीख लेनी बेहद जरुरी है। कई दशक लग जाते हैं तब जाके कामयाबी नसीब होती है वो भी इस चमकीली दुनिया में कितने दिनों तक कायम रह पाती है कहना बेहद मुश्किल है। इस लिए जीवन के लाईटस्... कैमरा.... एक्शन को संभाला जाए ना कि चमकीली दुनिया में खो कर। ये जरुर है कि उत्थान की पहली सीढी जी तोड मेहनत है.... इसलिए आप भी मेहनत करें कभी तो मेहनत रंग लाएगी जो कामयाबी की चटख लाल रंग को दिखाएगी।

Thursday, December 2, 2010

दर्द-ए-बयां

यह उस पीड़ित लडकी की कहानी है जिसकी खुद की तो जिंदगी बर्बाद हो चुकी है साथ में उसकी पांच बहनें और उनकी नौकरानी की भी जिंदगी भी नर्क से भी बदतर बन चुकी है। वहशी तांत्रिक के चंगुल में फंसी सात महिलाओं पर ये बीती है दर्दनाक दास्तां, जिसके बारे में सोच कर ही रोंगटे सिहर उठतें हैं. इस बारें में मेरे अपने तरफ से कुछ कहने की गुंजाइश ही नहीं है। मैं अपने बिचार आपके सामने रखूँ या इस मुद्दे पर आप से रु-ब-रू इससे पहले उसी महिला के जुबानी कहे वाकये को आपके बताती हूँ। जिसे पढ कर शायद आपके य़भी होश फाख्ता हो जाएँ। मेरे पैरों तले की जमीन तो इसे जानने के बाद ही खिसक गई थी, कि कहने को आधी अबादी महिलाओं की है लेकिन महिलाओं पर इस तरह के अत्याचार दिल दहलाने वाले लायक हैं।....

आगे की कहानी पीडित लडकी का बयान है जो उसने पुलिस को दिया है। किसी का नाम जानने में या उजागर करने में हमें कोई दिलचस्पी नही है, लेकिन यह सब लिखने का प्रयास बस यही है कि आप इसे पढे, थोडा सोचें और समाज सहित लोगों को भी आगाह करे। लडकी का बयान- मै, मेरी मां, मेरी मौसी और मेरी पांच बहने उस तांत्रिक के चंगुल में फंसे थे...करीब पांच साल पहले मै इस तांत्रिक और काला जादू के संपर्क में आई... उस दौरान मै अपने पिताजी के साथ बांद्रा स्थित घर में रहती थी.. मेरे पिताजी पेशे से डॉक्टर है.. पांच साल पहले एक दिन मै अपनी, मां, दो बहनें और शारीरीक और मानसिक रूप से विकलांग भाई के साथ अपनी मौसी के क्रॉफर्ड मार्केट स्थित स्वास्तिक चेंबर के घर पर गए... जहां पर तांत्रिक मेंहदी हसन मौजूद था। ... वो तंत्र, मंत्र और काला जादू कर रहा था... उसने वहां पर कागज पर मंत्र लिखकर पानी में डूबोया और हम सभी को पीने को दिया... इसके बाद हम सभी बांद्रा वाले घर पर गए( पुराना घर).. कई महिनो तक मां इस तांत्रिक के संपर्क में रही इन मुलाकातो के बाद मेरी मां और मौसी को उस पर पूरा भरोसा हो गया था... जब मैने मेरी मां से पूछा की तुम उससे क्यों मिलती हो तो उसने जवाब दिया की तुम्हारा भाई बीमार है उसे अच्छा करने के लिए और तुम सभी की भलाई और सुख शांति के लिए मै तुम्हे वहां ले जाती हूं... मां ने मुझे इसके बारे में किसीको भी बताने के लिए मना किया और चुप रहने के लिए भी कहा... हम दो साल तक उस तांत्रिक के यहां जाते रहे... वो तांत्रिक भी मेरी मां और मेरी मौसी के संपर्क में रहा.. एक दिन तांत्रिक का फोन घर पर आया और मां फोन उठाने के लिए छुपते हुए बाथरूम में चली गई और पिता जी ने देख लिया... इस बात पर दोनो में लडाई हुई.. इस बात पर पिता जी ने मां को छोड दिया और अब हम कोलाबा में रह रहे है। पहले मेहदी हसन हमें मिलने के लिए सेंट्रल मुंबई की एक होटल में बुलाता था.. वो उस होटल के कमरे में कई दिनो तक रहा.. उस होटल के कमरे में वो हम पर तंत्र मंत्र से काला जादू करता और अक्सर हमें पीले रंग का शरबत पिलाता.. यह सिलसिला कई दिनो तक चलता रहा.. बाद में मेरी मां और मौसी ने अमिना अपार्टमेंट (नल बाजार) में एक प्लैट किराये पर लिया.. पांच लाख की पगडी देकर लिया.. मेरी मां और मौसी ने हमें उस तांत्रिक के पास जाने के लिए मजबूर किया.. 16 मई 2009 से 16 नवंबर 2009 तक मै, मेरी सगी बहन, मेरी बडी मौसी की तीन लडकियां और मेरी मौसी के घर काम करनेवाली 22 वर्षीय नौकरानी अमिना अपार्टमेंट में उस तांत्रिक के साथ रहने लगे .. हमारी मां कभी कभी हमसे मिलने वहां आती थी... हम सब वहीं से अपने स्कूल कॉलेज जाने लगे.. वो कॉलेज आकर भी हमें तंग करता था.. अमिना अपार्टमेंट में रहते वक्त वो हर रोज सुबह और रात घर में तंत्र मंत्र, काला जादू करता और उसके बाद हमें पीले रंग का पानी भी पिलाता.. विरोध करने पर हमें मारता था.. रात में वो तांत्रिक हमे अकेले बेडरूम में बुलाता और जबरदस्ती हमारा बलात्कार करता.. विरोध करने पर वो हमें डंडे से मारता.. हर रात वो खाने के बाद हम सभी को जबरदस्ती एक मिठाई खाने देते.. इन 6 महिनो में उस तांत्रिक ने मेरे साथ 4 से 5 दफा बलात्कार किया... इसी तरह मेरी 4 बहनों और नौकरानी के साथ भी उसने बलात्कार किया... हमारे साथ रेप करने के बाद वो हमें बेहद मारता था... धमकी देता था कि अगर किसीको भी इसकी जावकारी दी तो काला जादू करके पूरे परिवार को खत्म कर दूंगा.. हम सब डर गए थे इसलिए हमने इसकी जानकारी हमारी मां और मौसियों को भी नही दी.. कुछ दिनो बाद मुझे पता चला की मैं गर्भवती हूं... गर्भपात करने के लिए वो मुझे डोंगरी के हबीब अस्पताल ले गया और उसने मेरा गर्भपात करवाया.. इस तरह मेरी तीन बहनो और नौकरानी का भी उसने गर्भपात कराया.. अमिना अपार्टमेंट के बाद मेरी मौसी ने तांत्रिक के लिए पायधुनी इलाके में मरियम अपार्टमेंट के 12 वी मंजिल पर एक प्लैट किराए पर लिया.. इस प्लैट में भी वो हमें बुलाकर हमें पीला पानी पिलाकर और मिठाई खिलाकर हमपर अत्याचार करता था.. मरियम अपार्टमेंट के प्लैट में आज तक हमपर अत्याचार हो रहे है.. एक महीने पहले मैने ये सारी बातें अपने पिता को फोन करके बताई.. मेरे पिता मेंहदी हसन को खोज ने लगे उसे इसकी जानकारी मिली और उसने हमें तंग करना बंद कर दिया.. 26 अक्तूबर 2010 को मेरी क्रॉफर्ड मार्केट में रहनेवाली मौसी कुछ काम के सिलसिले लंडन चली गई.. मेरी मौसी की दो बेटियों के साथ रहने के लिए हम सभी कोलाबा से क्रॉफर्ड मार्केट 27 अक्टूबर 2010 को चले गए.. इस बीच मेंहदी हसन ने मेरी मां के मोबाईल पर फोन करके बताया कि वो रहा है... मैने इसकी जानकारी मेरे पिता को दे दी और मेरे पिता ने पुलिस को इसकी जानकारी दी... इसकी खबर उसको मिली और वो वहां नही आया.. लेकिन 27 नवंबर 2010 को सुबह 9 बजे मेरी मां के मोबाईल पर उसका फोन आया और वो कमरे के बाहर चली गई.. मैने यह जानकारी अपने पिता को दी और पुलिस, ने हमारी बिल्डिंग को चारो तरफ से घेर लिया.. थोडी देर बाद वो वापस लौटी साथ में उस तांत्रिक को लेकर आई वो बुरखे में छुपकर आया था.. मैने तुरंत इसकी जानकारी मेरे पिता को दी.. और मेरे पिता पुलिस को लेकर उपर गये.. पुलिस ने फिर उसे गिरफ्तार किया... ये तांत्रिक पिछले पांच साल से मुझपर , मेरी 17 वर्षीय सगी बहन, मौसी की 19,17,13 साल की तीन बेटियां और 22 वर्षीया हमारी नौकरानी के साथ अमीना अपार्टमेंट, मरियम अपार्टमेंट और क्रॉफर्ड मार्केट स्थित हमारे घर में बलात्कार कर रहा है... इतना ही नही मेरी दूसरी मौसी की 11 साल के बेटी के साथ भी बलात्कार करने की जानकारी मुझे मिली है... इसने मेरा, मेरी दो बहनो का और हमारी नौकरानी का गर्भपात भी कराया है... ऐसे कुल मिलकर इसने हमारी घर की 7 महिलाओं को अपना शिकार बनाया.. जिस वक्त हमारे साथ इसने बलात्कार किया तब हम सभी लडकियां नाबालिक थी.... इसके बाद कुछ कहना उचित नही, बस आप जरा सोचिए.... कैसे कैसे नर पिशाच हमारे बीच हैं... किसे दोष दे....