Wednesday, April 6, 2011

कब होंगे भारतरत्न सचिन तेन्दुलकर

“हम जीत गए” इस शब्द को सुनने के लिए करोडों भारतीयों के कान तरस रहे थे। सालों से ये सपना भर बन कर रह गया था। पूरे देश ने और सचिन ने अट्ठाईस साल से जो सपना देखा था वो शनिवार 2 अप्रैल 2011 में आखिरकार पूरा हो ही गया। इस बात पर अभी तक यकीन नहीं हो रहा है। टीम इंडिया विश्व विजेता होने के साथ साथ नंबर वन हो गयी है। अभी भी उस जीत के लम्हे को याद करके रोंगटे खडे हो जाते है। देशभर के लोगो की सांसे मानो थम सी गयी थी। फिल्ड पर देखते देखते भारत का हर खिलाडी भावुक हो गया। कहीं आखों से आँसू निकल रहे थे को कहीं खुशी से धरती को चूमते नजर आ रहे थे खिलाडी। स्टेडियम में भी हालात कुछ ऐसे ही थे। लोग आँखों में खुशी के साथ नमी लेकर एक दूसरे को बधाई दे रहे थे। अंग्रेजी शासन के शुरुआत हुई इस खेल में सर्वेसर्वा बनने का मौका जो था। कहीं प्रार्थना की जा रही थी, तो कहीं पर नमाज अदा की जा रही थी तो कहीं पर अरदास लगाये जा रहे थे। विजय के उस लम्हे का वो मंजर कभी भुलाया नही जा सकता। पूरे देश ने जीत का जश्न मनाया। लोगों ने सडको पर उतरकर तिरंगा लहराया और जीत की खुशियां मनायी। जीत के जश्न मे ना कोई आम था और ना ही कोई खास सभी खुशी के मारे फुले नही समा रहे थे। क्या बच्चे, क्या बुढे और क्या महिला। रात भर सिर्फ चहल पहल, धोनी और टीम इंडिया का शुक्रिया अदा करती युवापीढी नजर आ रही थी। लेकिन सभी देशवासियों का एक सपना अभी भी अधूरा है, और वो है सचिन तेंन्दुलकर को भारतरत्न देकर सम्मानित करने का। सचिन के रचे इतिहास के बारे में सारा देश ही नही बल्कि सारी दुनिया वाकिफ है और सभी की तमन्ना है कि अब सचिन को भारतरत्न से नवाजा जाए। टीम इंडिया के सारे खिलाडियों ने सचिन का वर्ल्ड कप जीतने का सपना पूरा किया और अब वे चाहते है की सचिन को भारतरत्न अवार्ड से नवाजा जाए। महाराष्ट्र सरकार ने भी केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि सचिन को भारतरत्न से सम्मानित करें। भारत की जीत इतिहास के पन्नों में सुवर्ण अक्षरों से लिखी जाएगी और इस जीत के सभी भारतवासी गवाह है,और अब सचिन को भारतरत्न से नवाजे जाने के गवाह बनना चाहते है। सचिन को अनगिनत सम्मान मिल चुके है, शोहरत, के साथ वे अपना सामाजिक दायित्व भी निभा रहे है। भारत के इस सपूत पर देश ही नही बल्कि पूरी दुनिया को नाज है और उन्हे भारतरत्न से सम्मानित होते हुए देखना हर भारतीय का एक सपना है। सच्चे सपूतों को दिए जाने वाले सम्मान में मिलने वाले भारत रत्न सचिन को दिए जाने गवाह बनना चाहती है करोडों आँखे। एक सपना उगा दो नयनों में , कभी आँसुओं से धुला और बादल हुआ! धूप में छाँव बनकर अचानक मिला, था अकेला मगर अब बन गया काफ़िला। इस काफिले का हिस्सा हम बनना चाहते हैं। --

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