Tuesday, June 22, 2010

भिखारीयों का साम्राज्य........

रात के करीब 9 बज रहे होगें मुसलाधार बारीश में रास्ता तय करते मै और मेरे दोस्त स्टेशन पर टिकट लेने के लिए कतार में खडे हो गये। कतार में खडे थे तभी चट्ट चट्ट दो आवाजें आयी, बांयी तरफ मुडकर देखा तो एक उम्रदराज महिला ने सात या आठ साल की बच्ची के मुंह पर दो तमाचे जड दिये थे। वह बच्ची उस महिला की बेटी नही थी या कोई रिश्तेदार नही थी। या उसने कुछ गलती भी नही की थी। उसकी गलती बस यही थी की टिकट के कतार में खडे हुए लोगों में से किसीने एक रूपया दे दिया था। वह महिला और वह बच्ची दोनो ही भीक मांगनेवाले थे और दोनो ही कतार के दोनो बाजू में खडी थी। बच्ची तो एक रूपया पा गयी लेकीन महिला को कुछ नही मिलने की वजह से वह आग बबूला हो गयी और उसने बच्ची के मुंह पर दो तमाचे जड दिये और उसे भलाबूरा कहने लगी। मानो उसके इलाके में वह कब्जा करने आयी हो। आमतौर पर भिखारीयों के भी अपने इलाकों का बटवारां होता है, ताकी कोई दुसरा उनकी जगह पर अपना साम्राज्य न बनाये। बुजुर्ग महिलाएं और पुरूष इस उम्र में काम नही कर सकते तो वे दुसरों के आगे हाथ फैलाने पर मजबूर होते है। गुस्सा तब आता है जब इनकी तादात को देखती हूं। नन्हे नन्हे 4-5 बच्चों से कम नही । गंदगी से लतपत इन बच्चों को इनके ही मां बाप भीख मांगने पर मजबूर करते है। जिस उम्र से बच्चे बोलना या मसझना शुरू करते है। इस उम्र से यह बच्चे पेट की तरफ इशारा करके पैसे मांगते है। खाने पिने की चिजे दो तो वे नही लेते उन्हे चाहिए तो बस पैसा और पैसा ही। पेट की आग बुझाने के लिए लोग क्या क्या नही करते। अपनी आस्था से लोग समंदर में एक या दो रूपये फेकते है, लहरों के साथ फिर किनारे की तरफ आनेवाले पैसौं को लपकने के लिए कई बच्चे अपनी जान तक खतरे में डाल देते है। सर्व शिक्षा अभियान की मुख्यधारा में आना इन बेहद मुश्कील और नामुमकीन बात होगी, लेकीन दुसरो के सामने हाथ फैलाता बचपन, कुछ भी नही समझ पाने की उम्र में भीख मांगकर अपने पेट की आग बुझानेवाले इन बच्चों के भविष्य में सिर्फ अंधेरा ही नजर आता है। ये बच्चे बडे भी हो जाएंगे यु हीं भीख मांगते मांगते लेकीन न समाज में कोई स्थान होगा ना सरकार से मदत की कोई उम्मीद । मिलेगी तो सिर्फ दुत्कार और लाचारी। भिखारीयों का भी अपना एक अलग समाज बनने लगा है। वहां भी खूब कमाई है। उनका का भी अपना एक अलग साम्राज्य बनता जा रहा है, जहां घुसखोरी करने पर सजा मिलती है। नन्हे बच्चे के मुंह पर तमाचे की गुजं और बडों का कत्ल भी हो सकता है।

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