Tuesday, July 5, 2011

बक्श दो....

रात के करीब दो बज रहे थे, 17 साल की लडकी पुणे से मुंबई के समीप कल्याण स्टेशन पर उतरी। लोकल ट्रेन सुबह चार बजे से शुरू होती है तो स्टेशन पर ही लोकल ट्रेन का इंतजार करना ज्यादा सुरक्षित मान कर रुक गई। अकेली स्टेशन पर रूकने में थोडा डर भी लगने लगी लिहाजा आपने एक दोस्त को स्टेशन पर ही बुला लिया जिससे थोडी सुरक्षित महसूस कर सके। दोनो हमउम्र थे तो लोकल ट्रेन का इंतजार करते करते बातें कर रहे थे। उसी समय तीन मनचलें वहां पर आए उनके हाथ में चाकू था। चाकू की नोंक पर उन्होने लडके को धमकाया तो लडकी का दोस्त वहां से भाग गया, और मनचले उस लडकी को झाडीयों के पीछे ले गये और बारी बारी उस पर बलात्कार किया। इस घटना के दो दिन बीतते ही डोंबिवली इलाके में ही लडकी का दोस्त उसे घर दिखाने के बहाने ले गया और तीन दिनों तक लगातार उससे बलात्कार करता रहा किया। इस घटना के दो दिन बीतते ही और एक घटना सामने आयी है जहां नाबालिग लडको ने ही बलात्कार किया है। एक सप्ताह में बलात्कार के तीन मामले सामने आये है। ये बातें महज एक सप्ताह और एक ही इलाके की थीं। पूरे देश में क्या स्थिती होगी यह तो सोंच कर ही दिल दहने लगता है। दिल्ली के समीप ग्रेटर नोयडा में तो हैवानियत की ही हद पार हो चुकी है। आये दिन कोई ना कोई वारदात होती रहती है। लडकियों पर हो रही अत्याचार के आंकडे बढते ही जा रहे है। राह चलती लडकी पर फिंकरे कसना या उसका पीछा करना ये तो अब रोजमर्रा की बातें हो चुकी है और उन्हे अनदेखी करना भी लडकियां की मजबूरी बन गई है। जिसे बक्त की धार ने नजरअंदाज़ करना लडकियों को सीखा दिया है। मेरे इस ब्लॉग लिखते लिखते एक और मामला सामने आया है वो ये है कि 12वी में पढ रही छात्रा की ब्लू फिल्म निकालकर उसे सार्वजनिक कर दिया गया। लडकी के पिता का 45 वर्षीय दोस्त पिता के साथ शराब पीकर अक्सर घर पर आता था। शराबी दोस्त लडकी को अपनी लडकी कहता था। पिता के दोस्त ने पीडिता को मोबाईल भी खरीद कर दिया । वो अब लडकी को अपने जाल में फसाने की कोशिश करने लगा। आरोपी ने पीडिता से कहा की तुम 18 साल की हो चुकी हो तो मुझे गवाह के तौर पर तुम्हारा हस्ताक्षर चाहिए। लडकी को उसने इस बारे में घर पर किसीसे जिक्र ना करने की हिदायत दे दी। जब लडकी उस जगह पहूंची तो आरोपी ने उसे रिक्शा में अपने तीन दोस्तो के साथ जबरन बांद्रा के कोर्ट ले गया और उससे शादी कर ली। फिर उसे चाकू की नोंक पर मंदिर ले गया और उसके गले में मंगलसुत्र पहना दिया। घर पर बात बताई तो भाई और पिता को जान से मारने की धमकी आरोपी देता रहा। खुद को काग्रेस का कार्यकर्ता बतानेवाला यह शक्स 45 साल का है और लडकी 19 साल की। उसे एक लॉज में ले जाकर उसके साथ शारीरीक संबध बनाए और उसकी ब्लू फिल्म बनायी। मां के लाख बार पूछने के बाद लडकी ने चुप्पी तोडी तब तक अस्मत तार तार हो चुकी थी। हवस की आग इस कदर हावी होती जा रही है की उसके आगे क्या लडकी , क्या बच्चियां या अधेड उम्र की महिलाएं कोई भी बच नही पा रही है। वहशीपन ने अच्छे बुरे का फर्क ही मिटा दिया है। यह एक मानसिक विकृती है जिसका इलाज होना बेहद जरूरी है। रोज रोज हो रहे अमानवीय कृत्य से वो अपने आप को बचा नही पाती, लेकिन कुछ मामले ऐसे भी है जहां अंधा प्यार हावी हो जाता है। चिकनी चुपडी बातों पर लडकियां विश्वास रखकर अपना सब कुछ न्योछावर कर देती है। मां हमेशा लडकी की दोस्त होती है, अपने बच्चियों के साथ दोस्ती करे, उन्हे अच्छे-बुरे की समझ दे। उनकी दिन भर की बातें सुने जिससे आगे चलकर अनहोनी को टाला जा सकता है। कई अनगिनत लडकियां हवस का शिकार बन चुकी है और उन्होने इसे पेशे के तौर पर भी अपना लिया है, क्योंकि तार तार हुई अस्मत को समाज में सम्मान नही मिलता है। बलात्कारियों के लिए सजा का प्रावधान तो है, लेकिन कानून का डर किसी को नही है। दो चार साल की सजा काटकर फिर जुर्म करने के लिए तैयार हो जाते है, दरिन्दे।मेरी गुजारिश है कि इस अमानवीय कहर झेल चुकी बच्चियों का हमेशा ख्याल रखे। मासुमों की जिंदगी नर्क बनाने वालों को कानून के हवाले करके उन्हे कडी से कडी सजा दिलाने में आप भी मदद करे। कौन जाने आपके इस एक मदद से किसी के सपने बिखरने से बच जाए। भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस तरह समाज एक साथ आया है उसी तरह महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए आगे आना होगा तभी तो सही तौर पर भारतीय संस्कृति की मर्यादा बच सकेगी।

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