Saturday, October 23, 2010

अंधश्रध्दा का रावण

दो मासूम एक पांच साल का बच्चा और दो साल की बच्ची दोनो शांत लेटे हूएहै। दोनो के बदन पर गुलाल छिडका हुआ है, पास में कुछ फूल और निंबू पडाहै। घर में अष्टमी का हवन हो चुका है, और घरवाले एक साथ एक कोने मेंबैठकर मुंह छिपा रहे है। आप कहेंगें बच्चे लेटे है और परिजन क्यों मुंहछिपा रहे है, तो दरअसल बात ये है की दोनो मासुम मौत की निंद सो चुके हैऔर उनके कातील कॅमेरे से नजर चुरा रहै है।ये घटना मुंबई से सटे ठाणे जिले में स्थित नालासोपारा इलाके की है. यहइलाका कोई ग्रामिण इलाका नही है बल्की उंची उंची इमारते और बडे बडे मॉलसे लबालब इलाका है। दोनो ही बच्चे मृत पडे है इन्हे किसीने अगवा कर मारकर फेका नहीहै बल्की बच्चों की छाती पर खडे होकर उन्हे पैरो तले रौंदा गया है। यहवाकया दुश्मनी के चलती नही बल्की बच्चों के मां बाप चाचा चाची मामा औरदादा-दादी के मौजुदगी में हुआ है। बच्चों की छाती पर खडी हुयी थी बच्चोकी अपनी ही चाची । वो इसलिए खडी हुयी थी ताकी बच्चों के शरीर में कोई अपवित्रआत्मा या भुत पिशाच्च प्रवेश ना कर सके । चाची को साक्षात भगवान ने यहकहा था की बच्चों पर चुडैल का साया हो सकता है और ये चुडैल कोई अन्य नही वल्की बच्चों की दुसरी चाची है। दरअसल भगवान का साक्षात्कार पानेवाली चाची हिमांशु की माने तोउसे कई देवताओं का वरदान है, गणेशोत्सव के दौरान उसके बदन में गणेशजी आतेहै और नवरात्री में मां दुर्गा। अंधश्रध्दा के अंधकार में दो बच्चो कीबली चढ गयी । वहीं पुणे मे भी ऐसे ही एक हादसे को अंजाम दिया गया। भतिजेने चाचा और चचेरे भाई का कत्ल किया गया । आरोपी को यह शक था की उसका चाचाजादूटोणा करते है इसलिए उसके परिवार में परेशानियां बढ रही है। बच्चों का छाती पर पैर रखने की वजह से वह छटपटाने लगे और उनका दमघुटने की वजह से वे बेहोश हो गये। इतना सब होने के बावजूद भी उन्हेडॉक्टर के पास ले जाने के बजाए बाबा को बुलाकर झाड फुंक कराई गयी । लेकीनइस पुरी दुनिया में कौनसा बाबा होगा जो मृत शरीर में प्राण डाले ।अस्पताल पहूंचने से पहले ही बच्चे प्राण त्याग चुके थे।समाज में अंधविश्वास की जडे फैलती जा रही है । एक ओर समाज पढ लिखकर आगे बढने की कोशीश में है वहीं कुछ चंद लोग अंधविश्वास की खाई में गिरकर खुद का ही नुकसान कर रहे है । कौनसा भगवान बदन में आकर किसी की हत्या करवाता है, या बली का भोग मांगता है। किसी पाखंडी बाबाओं द्वारा रची मनघडन कहानियों पर विश्वास रखकर बली देने की परंपरा आज भी जारी है। बली चढाने की होड में महानवमी को बिहार में अफरातफरी की वजह से 15 लोगो की मौत हो गयी। भगवान में आस्था रखना कोई बुरी बात नही, लेकीन भगवान की आड अंधश्रध्दा को बढावा मिलना समाज के लिए काफी घातक साबित हो रहा है।

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