Monday, March 1, 2010

सचिन रमेश तेडूंलकर.....

सचिन रमेश तेन्दुलकर देश में ही नही बल्कि दुनिया भर के लोगों के दिलों में राज करनेवाला एक ऐसा इंन्सान है जो रोज नई उँचाइयों तक पहुँचने के बाद भी उसके पैर अभी भी जमीन पर ही है। अनगिनत सम्मान, अनगित खिताब पानेवाले सचिन की सादगी के सारे यूँ ही कायल है। सचिन को करीब से जाननेवाले उनकी सादगी, नम्रता, विनय और सामाजिक कार्य से बखूबी वाकिफ है। सचिन को सिर्फ टेलीविजन पर देखनेवाले लोग भी सचिन की सादगी से परीचित है। अनगिनत रेक़ॉर्ड बनानेवाले सचिन को भारतरत्न से सम्मानित करने की सिफारिश महाराष्ट्र सरकार, केंद्र सरकार से करनेवाला है,लेकिन सचिन को यह पुरस्कार देने में स्वंय केंद्र सरकार को ही पहल करनी चाहिए उसके लिए किसी की सिफारिश की जरूरत क्यों आन पडती है। सचिन को सिर्फ टेलीवि़जन पर देखने से ही उनके डाउन टू अर्थ स्वभाव का पता चलता है। हाफ सेंच्युरी हो, सेंच्यूरी या फिर डबल सेंच्यूरी सचिन सबसे पहले अपना बल्ला आकाश की ओर उठाकर भगवान का शुक्रिया अदा करते नजर आते है। अपनी हर एक कामयाबी के लिए अपने परिवार अपने सहयोगी खिलाडियों का शुक्रिया अदा किये बिना उनकी सफलता का क्रेडिट उन्होने आजतक खुद नही लिया। उनकी जगह कोई और होता तो अपनी बैट पटकता या फिर उछलकूद करता। किसी भी विवाद में पडना सचिन को बिल्कुल भी पसंद नही फिर भी उन्हे विवादों में खींचा गया। सचिन ने खामोश रहकर अपने बडप्पन का सबूत दे ही दिया। सचिन के ऐतिहासिक रिकार्ड के बाद देश और दुनिया ने उन्हे सर माथे पर बिठा लिया और उनपर उंगली उठानेवाले की उंगलिया उन्ही की दातों तले दबानेपर मजबूर कर दिया। अब उन्ही लोगों ने सचिन को रेकॉर्ड बनाकर इतिहास रचनेवाले सचिन को विक्रमादित्य करार दिया और उन्हे भारतरत्न से नवाजा जाने की सिफारिश भी की है। क्रिकेट के बारें में मुझे बहुत कुछ जानकारी तो नही है लेकिन सामान्य ज्ञान जरूर है। पिछले कुछ दिन पहले सचिन का फॉर्म खराब होने की चर्चा थी, और उन्हे सन्यास लेना चाहिए ऐसी अफवाएँ भी उडने लगी थी, लेकिन सचिन ने नाही इस बात का बुरा माना या कोई टिप्पणी की। अपने बीस साल के करियर में बुलंदी छुनेवाले सचिन ने कभीभी अहम को अपने आस पास भटकने नही दिया। टेनिस एल्बो की शिकायत के बाद भी वो आज भी पाँच पाँच घंटो तक प्रैक्टीस करते है। सचिन के वन डे में 200 रन का इतिहास रचने के बाद महानतम खिलाडियों ने उनकी प्रशंसा में कसीदे पढे है। उन्हें भगवान तक बना दिया। चाहे वो ऑस्ट्रेलियन खिलाडी हो या फिर पाकीस्तानी। शोएब अख्तर ने कहा है की सचिन गेंदबाजो के दुश्मन नही बल्कि गेंद के दुश्मन होते है और वे इस दुश्मनी को बखुबी निभाते भी है। उनकी सफलता, नम्रता देखकर सामान्य व्यक्ति नतमस्तक हो जाए तो कोई अचरज नही होगा। एक महानतम खिलाडी होने के साथ साथ सचिन एक आदर्श बेटा, आदर्श भाई, आदर्श पति के साथ साथ आदर्श पिता भी है। अपने पिता और भाई से मिली सीख को वे अपने बच्चों को भी दे रहे है साथ ही वे अपने बच्चों के जरिये दिए गए सुझावों पर भी अमल करते है। पूरी दुनिया से भर भर कर प्यार पानेवाले सचिन ने अनाथालय के बच्चों में भर भर कर प्यार, खुशियां बांटी है। अनाथालय में प्यार बांटकर समाज का ऋण भी वे चुका रहे है। विक्रमादित्य, क्रिकेट का शहंशाह, क्रिकेट का भगवान कह लो या फिर सचिन को कोई भी खिताब से नवाजा जाए फिर भी यह अनमोल रत्न अपनी सादगी कभी नही छोडेगा। सफलता के शिखर पर खडे रहने के बाद भी इस महान खिलाडी के पैर जमीन पर होने से उनके सामने अपने आप ही सर झुक जाता है।

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