Monday, March 1, 2010

स्पेशल चाईल्ड....

कुछ दिन पहले ऑफिस में बैठी थी तभी एक दर्शक का फोन आया उन्होने चॅनल पर एक प्रोग्रॅम देखा जो उनको काफी पसंद आया था। स्पेशल चाईल्ड की जीवनी पर आधारीत वह प्रोग्रॅम था। दो बच्चे ऐसे चुने गये थे जिन्हे हाथ नही है लेकिन पढाई से लेकर हर काम बडी ही आसानी से करते चाहे वो पेंटीग हो या फिर तबला बजाना और तो और यह बच्चे साधारण स्कूल में ही पढते है। हाथ नही होने के बावजूद भी वे खुद अपना सारा काम कर लेते है। उन्हे देखकर तो मुझे भी एक बार लगा की यह तो हमसे भी कई गुना ज्यादा है। हालांकि दस से बारा साल आयु के इन बच्चों को स्पेशल चाईल्ड होने का कोई भी मलाल नही। उनकी इच्छाशक्ती इतनी ज्यादा है की किसीभी परेशानी से जुझने के लिए वे हमेशा तैय्यार रहते है। हमने अपने प्रोग्रॅम के लिए महाराष्ट्र से सिर्फ दो ही बच्चे चुने थे, लेकिन देश में ऐसे कई अनगीनत स्पेशल चाईल्ड है जो रोज परेशानीयों से दो दो हाथ करते है। अपनी अपाहिजता को अपने उज्जवल भविष्य का रोडा नही बनाते। दुसरी ओर पिछले दो- तीन महिनों से पढाई के बोझतले दबे लगभग 40 छात्र छात्राओं ने देशभर में आत्मह्त्या की है। आत्महत्या के पिछे उनकी मानसिकता क्या होगी इसका अंदाजा लगाना तो बेहद मुश्कील है, लेकिन पास में सबकुछ होने के बावजुद मौत को गले लगाना बुजदिली ही कहलाती है। इन स्पेशल चाइल्ड की हिम्मत और कुछ करने का जज्बा देखकर नॉर्मल बच्चों के प्रति गुस्सा आता है, क्यों नही वे इन बच्चों से सिख लेते है, इनका आदर्श सामने रखकर कामयाब होते है। ढूंढने से भगवान भी मिलता है, और इन स्पेशल बच्चों ने भगवान को ढूंढकर कामयाबी पा ली है, तभी तो वे स्पेशल चाइल्ड कहलाते है। कोई भी काम आसान नही होता, मगर नामुमकिन भी नही। इन बच्चों की मिसाल लेकर आम छात्र या लोग प्रेरणा लेगें तो मेहनत और विश्वास के बलबुते कामयाबी जरूर कदम चुमेगी। और जीवन निश्चीत ही खुशहाल होगा।

1 comment:

Abuzar usmani said...

Inke liye to ye faiz ka sher kaha ja sakta hai .....jo ruke to kohe giran the hum jo chale to jan se guzar gaye,rah e yaar humne jagah jagah tujhe yaadgar bana diya.