Tuesday, January 12, 2010

मंत्रीजी मांगे मोर.....

बढती महंगाई ने आम आदमी की पहले से ही कमर तोड दी है। राशन का खर्चा, घर का किराया, बच्चो की फीस का खर्चा निकालकर कुछ सेव्हींग करना मुश्कील बात है फिर भी मुंबई में बसेरा हो यह सबकी चाहत होती है । आम आदमी का मुंबई में घर खरीदने का सपना महज सपना ही रह गया है। घर का सपना आम मुंबईकरों को शहर से दूर ले गया है। आमदनी अठ्ठनी और खर्चा रूपय्या ऐसी हालात में गुजर बसर करना लाजमी हो गया। मंहगाई की मार ने तो दो वक्त के खाने में कजुंसी करने पर मजबूर कर दिया है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार करोडो रूपयों के वारे न्यारे कर रही है, वो भी जनता के पैसो पर। महाराष्ट्र सरकारने मंत्रीयों के केबीन को नया लूक देने का काम शुरू कर दिया है। एक एक केबीन के रिनोवेशन का खर्च है 10 लाख से लेकर 25 लाख रूपये। एक केबीन के खर्च में एक परिवार अपना घरौंदा बना सकता है। एक और जहां सरकार करोडो रूपयों के कर्ज तले दबी है, वहीं दुसरी और लोगों का पैसा पानी के तरह बहाया जा रहा है। मंत्रालय को अब कॉर्पोरेट लूक चाहिए। एसी केबीन में बैठकर किसानो और पीडीतों का दुख दर्द सुना जाएगा। किसानों की फसल की नुकसान की चर्चा अब मंहगी केबीन में बैठकर की जाएगी। मुंबई महाराष्ट्र की जनता महंगाई, बेमोसमी बारीश, बेरोजगारी से त्रस्त है, वहीं सरकार करोडो रूपये खर्च करने में मस्त है। केंद्रीय कृषीमंत्री ने ये कहकर अपना पल्ला झाड लिया की चीनी के दाम कब कम होगें यह कहने के लिए मै कोई ज्योतिषी नही हू। कृषीमंत्री का यह बयान मुनाफाखोरों की जेबे भर रहा है। मुनाफाखोर तो बस इसी ताक में है की कब सरकार यह ऐलान करे की महंगाई पर काबू नही पाया जा रहा है और कब वे अपने गोदाम में रखे माल को दुगने तिगुने दाम में बेचकर मालामाल हो जाए। कृषीमंत्रीजी को ज्योतिषी नही बनना है तो ना सही लेकिन कम से कम एक अच्छा मंत्री बनकर लोगों के दुख को दूर नही लेकिन कम तो जरूर कर सकते है। आतंकी हमले से निपटने के लिए मुंबई पुलिस को आधुनिक हथियारों से लैस करने करने की कवायद तो हो रही है, लेकिन अभीभी नक्षल प्रभावित क्षेत्र में पुलिस को अपनी जान की बाजी लगाकर शहिद होना पड रहा है। उनके पास ना तो आधुनिक हथियार है नाही जंगल का मुआयना करने के लिए हेलीकॉप्टर। मंत्रीयों में जरासी भी संजीदगी बची हो तो पुलिस बल को सक्षम करे, महंगाई कम करने के लिए ठोस उपाय ढूंढे । अलिशान केबिन में बैठकर मगरमच्छ के आसुं मत बहाईये।

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