Tuesday, December 9, 2008

शब्दों से परे...... नम आँखों से....

सबसे पहले उन २० जाबांज पुलिस अफसर, २ एनएसजी कमांडो और २०० बेकसूर लोगों को श्रद्धांजलि, जो आतंकियो के नापाक इरादों से बच नही पाये। अभी भी कई लोग अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे है। ५९ घंटो का वो खौफनाक मंजर मुंबई ही नही बल्कि सारी दुनिया ने महसूस किया। एनएसजी कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृषन्न की शहादत की खबर ने दिल को चीर डाला। उनके मृत काया को देखकर एक पल ऐसा लगा की मैं भी फिदायीन बनकर पाक से बदला लूं। एटीएस चीफ हेमंत करकरे, अशोक कामटे और एन्काउंटर स्पेशालिस्ट विजय सालस्कर की खबर सुनकर पैरों तले की जमीन ही खिसक गयी। दिमाग मे कोहराम मच गया। आतंकियों के नापाक मंसूबों को रोकते रोकते १४ पुलिसकर्मी शहीद हुए जिसमें आरपीएफ जवान भी शामिल थे। उन तमाम शहीदों का देश हमेशा कर्जदार रहेगा। देश के लिए मर मिटने का जज्बा सारी दुनिया ने देखा। उनकी शहादत का कर्ज कोई नही चुका पाएगा। सारे देश ने तो उन्हे नम आखों से विदाई दी है, लेकिन उनकी शहादत से सीख लेकर देश के लिए कुछ योगदान करना होगा तभी जाकर वो दिन दूर नही होगा, जब हम सब मिलकर आतंकियों के नापाक इरादों को पैरों तले रौंदकर रख देंगे।

No comments: