Monday, November 17, 2008

हर फिक्र को धुऍ में उडाता चला गया......

सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक जगहों पर धुम्रपान करने पर पाबंदी तो लगायी है, लेकिन लोगबाग इसपर अमल करते नजर नही आ रहे है। मुंबई महापालिका ने भी आनन फानन में धुम्रपान करनेवालों को दंडित करने का निर्णय तो लिया लेकिन वो महज कागजों पर ही है। कंपनीयों में लंच टाईम के बाद कर्मचारी कश पे कश लगाकर अपने फिक्र को धुऍं में उडाते नजर आते है। सैंकडो का जत्था धुम्रपान में मशगूल नजर आता है। पान के ठेलों पर भी नजारा कुछ अलग नही होता। हालाकि धुम्रपान करनेवालों के लिए होटलों में व्यवस्था कराई गयी है। लेकिन मेरी नजर में अगर सरकार ने ही सार्वजनिक जगहों पर धुम्रपान करने पर पाबंदी लगायी है, तो क्यों न इसी का फायदा उठाते हुए सिगरेट पीना बंद करे। ताकि फेफडों को खराब होने से बचाया जाय, और सिगरेट पर होनेवाले खर्च को भी टाला जा सकता है। समय रहते ही अगर स्वास्थ के प्रति ध्यान दे तो खुद के साथ साथ परिवारवाले भी स्वस्थ और निश्चिन्त रह पायेंगें । अगर धुम्रपान पुरी तरह छोड नही सकते, लेकिन कोशिश करना आपके ही हाथ में है। सिगरेट के पॅकेट पर लिखी चेतावनी को अनदेखा मत किजीए। प्रशासन ने पहल की है उन्हे साथ दिजीए। आपके स्वास्थ और परिवार की खुशहाली आपके ही हाथ मे है।

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