Sunday, November 2, 2008

क्षेत्रवाद राष्ट्रीय एकता पर हावी

मराठी बिहारी के बीच चल रहे विवाद की अग्नी में अब लालू प्रसाद यादव और घी डालने का काम कर रहे है। बिहारी सासंदों को पंधरा दिन के भीतर इस्तीफा देने का फरमान उन्होने दिया है। बिहार में सासंदो पर दबाव डालकर महाराष्ट्र में रहनेवाले आम उत्तर भारतीयों की परेशानीया क्या कम हो सकती है आप लडीये हम कपडा संभालते है, कहकर आम आदमी को उकसाकर लडने के लिए तैय्यार करना क्या जायज है। छठ पूजा जैसे आस्था के पर्व को राजनीतीक रूप देकर अपनी ताकद दिखाने की कोशीश ही लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। वहां मनसे अध्यक्ष को मारने के लिए कुछ लोग शहर में आए है ऐसी गलत खबरों को हवा देकर मराठी लोगों की सहानुभुती इकठ्ठा करने का काम खुद मनसे कार्यकर्ताओं ने ही किया है। राजनीतीक स्वार्थ के लिए आम आदमी को ही इस्तेमाल किया जा रहा है। आम आदमी को ये क्यां नही समझ आ रहा है की लडकर नही बल्की आपसी प्यार और सुझबुझ के साथ ही मुंबई या महाराष्ट्र ही नही बल्की सारे देश की तरक्की होगी। नेताओं की राजनीती को समझना अंब आपके हाथ में है। बस बहोत हो चुका ये अब खुनी खेल ।आपसी टकराव से किसी का हित साध्य नही हो पाएगा । कोई भी जाती, धर्म, भाषा के लोगों को कहीं भी जाने का रहने का अधिकार है, उनके अधिकारों को छिनना या उनपर हमला करना निदंनीय है। नेताओं ने आपसी रंजीश खत्म करके जनता के भले के लिए, बेरोजगारों के लिए कुछ ठोस करने की जरूरत है तभी जाकर नेता नेता कहलाएंगे वर्ना लोगों की गालीयां और हाय आए दिन लगती रहेगी।

1 comment:

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

नेताओं की बात में आना मत मेरे यार.
दस्यु-चोर-लुटेरे हैं, इनकी बात बेकार.
बात सभी बेकार, इन्होंने ही लङवाया.
भारत था प्यारा , इसको इन्डिया बनाया.
कह साधक कवि,नेता बैठा तेरी घात में.
आना मत मेरे यार, नेताऒं की बात में.