Monday, November 29, 2010

जारी है सिलसिला

बिजली बिल भरने की कतार में मै खडी थी मेरे आगे एक महिला खडी थी उसने बील जमा करनेवाले से कहा की मुझे इस महिने दूगना बिजली बिल आया है, बावजुद मैने पिछले महीने बिल जमा कर दिया था। उस व्यक्ति ने बिल देखकर कहा की मां जी यह बिल सिर्फ एक महीने का ही है और बिजली के दाम दूगने बढ गये है। वह महिला कहने लगी, कि घर में कमानेवाले कोई नही है कहां से भरेंगें इतना बिल। मेहनत मशक्कत करने के बावजूद खाने पीने के लाले है । एक ओर महंगाई बढती ही जा रही है और दूसरी ओर भ्रष्टाचार थमने का नाम नही ले रहा है। मुंबई में कोलाबा की छह मंजिला इमारत की फाईल सरकारी बाबूओं और मंत्रीयों के हाथो के नीचे से गुजरते गुजरते 31 मंजिला बन गई, और सभी को फाईल मंजुर करने के लिए एक एक प्लैट मिल गया। शहिदो के परिजनो के लिए बननेवाले आशियाने को सरकारी बाबू और मंत्रीजी डकार गये। वहीं देशभर में भ्रष्टाचार का बोलबाला है, दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ खेलो का घोटाला, टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला और वहां दक्षिण में येदीयुरप्पा ने अपने बेटो को खैरात में जमीने बांट दी उसमें हुआ करोडो रूपयों का घोटाला, और अब हालहि में उजागर हूआ होमलोन घोटाला जहां करोडो रूपयो के वारे न्यारे हुए है। होमलोन और कॉरपोरेट लोन पास करवाने के लिए भी रिश्वत करोडे रूपयों ली गयी थी। देश में मानो घोटालो की लहलहाती फसल आ गयी है और चाहे वो अफसर हो या राजनेता हाथो में हसिंया लेकर अपनी अपनी बोरीयां बांध रहे है। वहीं रतन टाटा ने भी उनसे मांगी गयी रिश्वत का जिक्र करते हुए कहा कि वो एविएशन में आना चाहते थे लेकिन उनसे एविएशन मिनिस्ट्री के अधिकारीयों ने पंद्रह करोड रूपये की रिश्वत मांगी थी। घोटाले अब हजारो या लाखों में नही बल्कि करोडो में हो रहे है, और करोडो रूपयों का घोटाला ना हो तो मिडीया उसमे दिलचस्पी ही नही दिखाती। इसी घोटाले के देश में किसानो और मजदूरों के लिए दो- पांच रूपये भी मायने रखते है चवन्नी -अठन्नी जमा करके फसल उगाने वाले किसान ने बे मौसम आयी बरसात के चपेट में अपनी अच्छी खासी फसल को बर्बाद होते हुए अपनी आंखो से देख रहे है। बर्बाद हुए फसल का हर्जाना पाने के लिए उन्हे दर दर की ठोकरे खानी पड रही है। लालफिताशाही के चलते अब तक किसानों की बर्बाद फसलों का मुआयना भी नही हो पाया है , मुआवजा तो सपना लगता है। समाज में दो भाग साफ साफ नजर आ रहे है। एक और घोटाले में लिप्त भ्रष्ट अधिकारी और मंत्री तो दूसरी ओर अपने अधिकार से वंचीत समाज। एक ओर अमीर और अमीर होता जा रहा है,वहीं दूसरी ओर गरीब और भी गरीब । आम इंसान को अपने हक के लिए दर दर की ठोकरे खानी पड रही है, छोटा काम करवाने के लिए भी दफ्तरों में चक्कर लगाते लगाते समय निकल जाता है। घूस ना दे तो महिनो तक बात बनने से रही। सरकार बदले या फिर मंत्री या अधिकारी ही बदल दिए जाए भ्रष्टाचार की जडे इतनी मजबूत हो गयी है की उसे जड से उखाडना असंभव है। चंद लोगो का भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना याने शोर के बीच में अपनी आवाज सुनाना लगता है। भ्रष्टचार न थम सकता है ना इसे बढने से कोई रोक पायेगा। मंत्री या अधिकारी के फेरबदल से उन्हे नसीहत तो जरूर मिलेगी लेकिन वो और भी सजग और चौकन्ने होकर भ्रष्टाचार को अंजाम देगें। जरूरत है सबों को इसके खिलाफ एकजूट होने की। तभी हम एक नये सवेरा की उम्मीद कर सकते है।

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