Monday, April 6, 2009

बहशी पापा को मौत दे दो ....

कहते है लडकियां पापा की लाडली होती है, यह सिर्फ कहना ही नही है, मैं खुद बेटी होने के नाते यह महसूस भी कर रही हूं। इसके साथ ये भी लग रहा है कि अब आज पता नहीं क्यों आज के पापा अपने गरीमा को तोड रहे हैं। हकीकत ये है कि एक बेटी ने अपने बाप के लिए कानून से मौत मांगी है। मांगे भी क्यूं नही, ऐसे वहशी बाप के लिए तो मौत भी आसान ही सजा होगी। इस आसान मौत से उस पिडित लड़की का दर्द तो कम नहीं होगा लेकिन उसे जरुर तसल्ली होगी। बाप ने बेटी के साथ बलात्कार किया है, वो भी एक बार नही सालों से वो मासूम अपने बाप के हवस का शिकार बन रही । जब छोटी सगी बहन भी बाप के हवस का शिकार बनने जा रही थी, तब बडी बहन को अपनी चुप्पी तोडनी ही । अपने जीवन को तो बरबाद करनेवाले को बडी बहन तो अपनी चुप्पी से छुपाए थी लेकिन छोटी बहन को अपनी आँखों के सामने तार-तार कैसे होते कैसे देखती । लेकिन बाप की करतूत,अपने खून के साथ दरींदगी करने का कारण बडा ही हास्यास्पद और खून खौलाने वाला काम है । घर में शांति बनाये रखने के लिए एक तांत्रिक ने यह सुझाव दिया था। वो कैसा पिता होगा जो घर की शांति के लिए अपनी ही बच्ची का इस्तेमाल करता था। सोचने वाली बात है कि घर कि शांति कैसे कायम रह सकती है घर के ही बच्ची को हवस का शिकार बनाने से। लेकिन बच्ची को हवस का शिकार बनते देख रही मां ने भी अपनी चुप्पी नही तोडी। पता नहीं उस परिवार को कौनसी ऐसी शांति की तलाश थी, जो सिर्फ जिस्म की मांग कर रही थी। तांत्रिक और ज्योतिष के चक्कर में हजारो घर बर्बाद हो चुके है, और शायद होते भी रहेंगे जब तक लोग इन तंत्र मंत्र के चक्कर से बाहर नही निकलते. तब तक हवस का शिकार दूसरे नही बल्कि अपने बच्चे भी शिकार बनते रहेंगे। मुंबई की यह घटना उस लडकी की वजह से सामने आयी , लेकिन समय रहते ही अगर उसने अपनी चुप्पी तोडी होती तो आज उस पर अपने बाप के लिए मौत मांगने की नौबत नही आती। बाप के साथ साथ अब तांत्रिक भी जेल की हवा खा रहा है, बेटी का कहना है की मां इस सब के लिए जिम्मेदार नही है,,लेकिन बाप को मौत की सजा दे दी जाए। पिछले दो महीने में महिलांओ पर हो रहे अत्याचार का ग्राफ बढता ही जा रहा है। महाराष्ट्र से हर रोज महिला पर हुए अत्याचार की खबर सुनायी दे रही है। रोज रोज बलात्कार के हादसों से खून खौल उठता है। क्या हासिल होता है महिला पर अत्याचार करके, हवस की आग अगर नही बुझती होगी तो अपने आप को ही खत्म कर लेना चाहिए। मानसिकता बदलना मुश्किल नही है, लेकिन मानसिकता बदलने की तैयार होना भी जरूरी है। अंधविश्वास विश्वास पर हावी होता जा रहा है। भगवान से ज्यादा शैतान का महत्व बढता जा रहा है। अंधविश्वास से कोई धन, शांति, व्यापार, शादी नही होगी, होगी तो सिर्फ बर्बादी और बर्बादी ही।

4 comments:

Sudeep Gandhi said...

बहुत ही सटीक और मार्मिक बातों आपने लिखी हैं। सचमुच वहशी के खिलाफ कोई रियायत नहीं होना चाहिए--- सुदीप गाँधी

Dilki chahat said...

आपका लेख पढा सही लगा साथ ही साथ मन के कई दर्द सामने आने लगे कि आखिर लड़कियों ही क्यों शिकार बनाया जा रहा है। ये मसला झकझोर के रख दे रहा है

सौरभ कुणाल said...

उस आदमी के लिए पापा शब्द कहना उसका तौहीन है... उस बहसी बाप को सच में मौत ही मिलनी चाहिए....

DANCER AND POET(RISHI) OF UDAIPUR said...

AAJ MENE AAKI STORY PADI BAHUT DHUKH HUA......
LOG BHUL CHUKE HAI PYAR KYA HOTA HAI.PYAR BHGWAN HAI HAVAS SETAAN HAI.....PYAR ME HAVAS KO MT LAO OR PYAR K DEEP JALAO..
M VIPIN SHARMA FANS CAAL ME RISHIDA (A SAD POET AND DANCER) UDAIPIUR