Thursday, October 2, 2008

पंक्षी के दिल का दर्द

एक सरकारी कार्यालय के बाहर एक पेड है। उस पेड पर एक कौआ लगातार दो तीन दिनो से आकर दिनभर कायं कायं करता रहा। चौकीदार कौए की कायं कायं से दिनभर परेशान था। हर दिन उस कौए को भगा देता था। कौआ फिर चौथे दिन उसी पेड पर बैठकर कायं कायं करने लगा। चौकीदार ने सोचा की अब एक नजर पेड के उपर देख ही लेते है। पेड की तरफ देखा तो पेड पर एक मादा कौआ का पैर पतंग की मांजा में फंसा था। तीन दिनो से वो पेड पर लटकी हुयी थी। चोकीदार ने झठ से दमकल विभाग को बुलाकर उस मादा कौए को राहत पहूंचायी। अपने साथी पंछी को छुडवाने की कोशीश करनेवाला कौआ सफल हो गया। जानवर और इंसानो में श्रेष्ठ कहे जानेवाला इन्सान लोगों की मदत करने से हिचकिचा रहा है। खुद की बात करे तो किसी भी चिज को पाने में वो अगर असफल होता है तो, आगे प्रयास करना छोड देता है। चिटीयां भी जब अपना पेट भरने के लिए कतार में अनाज की खोज में निकलती है, हम इन्सान अगर जाती और धर्म भेद मिटाकर एक साथ रहे तो हमारा देश सचमुच सारे जहां से अच्छा होगा। तो सफलता पाने के लिए जरूर कोशीश करे, क्योंकी कोशिश करनेवालों की हार नही होती.

No comments: