Thursday, June 26, 2008

राजनीति वडापाव की

'वडापाव' मुंबईकरों की पहली पसंद. मुंबईमें आनेवाला कोई भी इंसान कभी भुखो नही रह सकता. गरीब हो या अमिर वडापाव खाने की चाहत सभी को होती है. लेकीन अब इस वडापाव के भाग्य बदलने जा रहे वडापाव की राजनीती इतनी गरमाती जा रही है की इसका नामकरण अब हमारे शिवाजी महाराज के नाम से किये जाने की घोषणा की गयी है। अगर वडापाव का नाम 'शिववडा' हो जाये तो आम लोग कैसे खायेंगे. पहले तो गरीब तबकेसे आनेवाले कई लोग इसे खरीदनेसे कतरायेंगें क्योंकी फिर एकबार राजनीती की चक्कीमें वे कतई पिसना नही चाहेंगे. शिववडा मांगा और फिर एक बार मराठी अस्मिता का मुद्दा बन गया तो लेने के देने पड जायेंगे.अब गरीबों के मुंह का खाना छिनने से भी यह राजनितीज्ञ कतरा नही रहे है. मुगल साम्राज्य को खदेडकर हिंदवी स्वराज्य का निर्माण करनेवाले महापुरूष का नाम वडापाव बनने जाएगा इससे बडी शर्मनाक बात कोई दुसरी हो ही नही सकती. राजनितीज्ञ इतनी हदतक गिरे जा रहे की उनको पता भी नही चल पा रहा है की लोगों की भावनाओं से खेलकर वे कतई कामयाब नही हो पायेंगे.चाहे वो लोगों की भलाई के लिए किया गया दिखावाही क्यों न हो.वडापाव मुंबईकरों का खाना है और उसे महज खाना ही रहा दिया जाए तो बेहतर होगा. आम मुंबईकरों को मेहनत करने के बाद दो निवाला सुकून का चाहिए नाकि राजनिती के खेल का मोहरा बनना."अन्नपूर्णा ही सबकी इच्छा पूरी कर सकती हैं।"

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